मुंबई—केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच बना तनातनी का माहौल फिलहाल ठंडा होता दिख रहा है। सरकार और रिजर्व बैंक के बीच पूंजी का कितना आरक्षित भंडार रहना चाहिए इस मुद्दे को एक विशेषज्ञ समिति के हवाले करने पर सहमति बनी है। छोटे उद्योगों के फंसे कर्ज के मुद्दे पर केन्द्रीय बैंक खुद विचार करेगा। 

रिजर्व बैंक के केन्द्रीय निदेशक मंडल की सोमवार को हुई बैठक नौ घंटे तक चली। इस बैठक में रिजर्व बैंक के पास आरक्षित पूंजी कोष की उचित सीमा तय करने के लिये जिस विशेषज्ञ समिति के गठन पर सहमति बनी है उसके सदस्यों के बारे में सरकार और रिजर्व बैंक दोनों मिलकर फैसला करेंगे। 

बैठक के बाद केन्द्रीय बैंक की जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘निदेशक मंडल ने आर्थिक पूंजी ढांचे की रूपरेखा (ईसीएफ) के परीक्षण के लिये एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का फैसला किया है। समिति के सदस्यों उसकी कार्य शर्तों को सरकार और रिजर्व बैंक दोनों मिलकर तय करेंगे। ’’ 

रिजर्व बैंक का पूंजी आधार इस समय 9.69 लाख करोड़ रुपये है। रिजर्व बेंक के स्वतंत्र निदेशक और स्वदेशी विचार एस. गुरुमूर्ति तथा वित्त मंत्रालय चाहते हैं कि इस कोष को वैश्विक मानकों के अनुरूप कम किया जाना चाहिये। 

बैठक में जिस विशेषज्ञ समिति के गठन का फैसला किया गया है वह इस कोष के उचित स्तर के बारे में अपनी सिफारिश देगी। 

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में केंद्रीय निदशेक मंडल की बैठक हुई। यह बैठक वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच कुछ मुद्दों को लेकर पैदा हुए मतभेद को ध्यान मं रखकर हुई। 
सूत्रों का कहना है कि बैठक के दौरान किसी भी प्रस्ताव पर मतदान की नौबत नहीं आई। डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने बोर्ड के समक्ष विस्तृत एजेंडा रखा।

निदेशक मंडल ने रिजर्व बैंक को सलाह दी कि वह छोटे उद्योगों के मामले में फंसे कर्ज वाली इकाइयों के लिये एक योजना लाने पर विचार करे। इसके लिये वह 25 करोड़ रुपये तक की कुल ऋण सुविधा तय कर सकता है। 

बैठक में टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखर सहित ज्यादातर स्वतंत्र निदेशक उपस्थित थे। बैंकों के त्वरित सुधारात्मक कारवाई के मामले में यह तय किया गया कि इस मुद्दे को रिजर्व बैंक का वित्तीय निरीक्षण बोर्ड देखेगा। सार्वजनिक क्षेत्र के 21 में से 11 बैंक पीसीए फ्रेमवर्क के तहत लाये गये हैं।