नई दिल्ली | आगामी लोकसभा चुनाव में देश के तमाम राजनैतिक दल जनता से वोट तो लेंगे ही साथ ही उससे पहले नोट के तौर पर बॉन्ड भी लेंगे। क्योंकि सरकार ने चुनावों के लिए भारतीय स्टेट बैंक को मार्च से मई के महीने तक चुनावी बांड को बिक्री करने की अनुमति दे दी है। जबकि ऐसा माना जा रहा कि केन्द्र सरकार अगले हफ्ते तक देश में आगामी लोकसभा चुनाव घोषित कर सकती है।

असल में केन्द्र सरकार ने दो साल पहले चुनावी बॉन्ड को मंजूरी दी थी। लिहाजा अब केन्द्र सरकार ने  मार्च से मई महीने तक इन चुनावी बॉन्डस की बिक्री करने की मंजूरी दे दी है। इस बॉन्डस को जारी करने का मकसद राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे में पारदर्शिता लाना था। ये बॉन्डस एसबीआई की 29 अधिकृत शाखाओं के जरिए उपलब्ध होंगे। हालांकि इन बॉन्ड की बिक्री तीन चरणों में होगी।  फिलहाल ये चुनावी बॉन्ड अगले पंद्रह दिनों के लिए मान्य होंगे और यदि वैधता खत्म होने के बाद बांड जमा किया जाता है तो राजनीतिक दल को इसका कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।

किसी भी पात्र राजनीतिक दल द्वारा अपने खाते में जमा किए गए चुनावी बांड को उसी दिन उसके खाते में डाल दिया जाएगा। ऐसे राजनीतिक दल जिन्हें चुनावों में एक प्रतिशत से ज्यादा मत मिला है वह इस बॉन्डस को लेने के लिए अधिकृत होंगे। जानकारी के मुताबिक 2018 में ही करीब 222 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड बिके। जबकि इन्हें 2017 के बजट में शुरू किया गया था।

जानें क्या होते हैं चुनावी बॉन्ड

राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार एक खास किस्म का चुनावी बांड को शुरू किया है। इसे 2017-18 के बजट के दौरान शुरू करने का ऐलान किया गया था। चुनावी बॉन्ड 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ रुपये के मूल्य में उपलब्ध होते हैं। इन्हें भारतीय स्टेट बैंक की कुछ चुनिंदा बैंक शाखाओं से ही खरीदा जा सकता है। इसे भारतीय नागरिक या देश में काम करने वाली संस्था ही खरीद सकती हैं। लेकिन इसके लिए केवाईसी फॉर्म भरना जरूरी होता है।

हालाकि बॉन्ड देने वाले का नाम जाहिर नहीं किया जाता है, हालांकि बैंक को इसकी जानकारी होती है। इसको 15 दिन के भीतर कैश कराना जरूरी होता है। ये बॉन्ड उन्हीं राजनैतिक दलों को दिया जा सकता है रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपुल एक्ट 1951 के धारा 29A के तहत रजिस्टर्ड होते हैं। बैंक को इसकी जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है।