तिरूवनंतपुरम। केरल में हिंदू संगठनों ने राज्य सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया है। क्योंकि राज्य सरकार ने मंदिरों की संपत्ति बेचने का फैसला किया है। वहीं राज्य सरकार ने मुस्लिम और ईसाई समुदायों की  धार्मिक संपत्तियों को सरकारी आदेश के दूर रखा है। अब राज्य के साथ ही देश के हिंदू संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। यही नहीं राज्य सरकार मंदिरों की संपत्ति को बेच रही है जबकि मदरसा कर्मचारियों को धन वितरित  कर रही है।

हिंदू संगठनों ने मंदिर संपत्ति बेचने के केरल सरकार के कदम का विरोध किया है। केरल मंदिर बोर्ड ने मंदिर के सामान को नीलाम करने फैसला किया है। ताकि कोरोना संकट के कारण गंभीर वित्तीय संकट से निपटा जा सके। फिलहाल राज्य सरकार के इस फैसले के बाद हिंदू समुदाय और हिंदू संगठनों से तीखी प्रतिक्रिया दी हैं। संगठनों का कहना है राज्य सरकार धार्मिक आधार पर भेदभाव कर रही है और राज्य में रह रहे हिंदू समुदाय और हिंदू मंदिरों को निशाना बना रही हैं। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब राज्य सरकार ने धार्मिक आधार पर हिंदूओं से जुड़े मामले में फैसला है।

फिलहाल मंदिरों की संपत्ति को नीलाम करने के बोर्ड के फैसले को चुनौती देने के लिए हिंदू ऐक्य वेदी और अंतराष्ट्रीय हिंदू परिषद (एएचपी) समेत विभिन्न हिंदू संगठनों ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है। हिंदू संगठनों और मंदिर समितियों के गुस्से को बढ़ाते हुए मालाबार देवास्वोम बोर्ड ने विशेष ग्रेड मंदिरों में से प्रत्येक को 1 लाख रुपये देने का आदेश दिया है। बोर्ड ये धन मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में देने का आदेश दिया है। राज्य सरकार द्वारा गठित त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी) द्वारा गठित समिति द्वारा चेट्टीकुलंगरा, एट्टूमनूर और मलयपुरपुझा के प्रसिद्ध मंदिरों की संपत्ति को नीलाम करने का फैसला किया है। बोर्ड ने मंदिरों की जमीन को भी पट्टे पर देने का फैसला किया है। जिसका हिंदू संगठन विरोध कर रहे हैं।

गौरतलब है कि गुरुवयूर देवस्वोम बोर्ड के अध्यक्ष केबी मोहनदास ने 5 करोड़ रुपये सीएम राहत कोष को सौंपने का फैसला किया। जिसका हिंदू संगठनों के साथ ही केन्द्र की सत्ताधारी भाजपा ने भी विरोध किया था। हिंदू संगठनों का कहना है कि मस्जिदों और गिरजाघरों के तरह सारे मंदिर बंद हैं। लेकिन सरकार ने मंदिरों को कई भुगतान नहीं किया जबकि राज्य सरकार मदरसा कर्मचारियों को 1,000 रुपये का भुगतान कर रही है। इससे साफ होता है कि राज्य सरकार हिंदू समुदाय को निशाना बना रही है।