पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए फिदायीन हमले के बाद से पूरा भारत एकजुट है। सरकार ने भी पाकिस्तान को हर मोर्च पर झटका देने की कोशिशें तेज कर दी हैं। एक तरह जहां सरकार ने सेना को आतंकियों के पनाहगाह पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए पूरी छूट दे दी है, वहीं पाकिस्तान को कंगाल बनाने के प्रयास भी तेज कर दिए हैं। 

सबसे पहले सरकार ने पाकिस्तान को दिया तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा छीन लिया। इसके बाद पाकिस्तान से आयात के किए जाने वाले सामान  पर टैक्स 200% कर दिया। पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर भी अलग-थलग करने के प्रयास किए जा रहे है। इस बीच, केंद्र सरकार शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत 3000 करोड़ रुपये के शत्रु शेयरों को बेचने की तैयारी में है। य‍े वो शेयर हैं जिनका मालिकाना हक या प्रबंधन ऐसे लोगों के पास था, जो बंटवारे के बाद भारत से चले गए थे। केंद्र ने 3,000 करोड़ रुपये के शत्रु शेयरों की बिक्री के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। इस समिति में शीर्ष सरकारी अधिकारी शामिल हैं। 

यह समिति शत्रु शेयरों की बिक्री के लिए मात्रा और मूल्य या मूल्य दायरे की सिफारिश करेगी। यह कदम संसद द्वारा शत्रु संपत्ति कानून में करीब दो साल पहले किए गए संशोधन के बाद उठाया गया है। इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि विभाजन के समय या 1962 के युद्ध के समय पाकिस्तान या चीन जाने वालों के उत्तराधिकारियों का उनके द्वारा भारत में छोड़ी गई संपत्ति या शेयर पर कोई दावा नहीं रहेगा।

 गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार इस उच्चस्तरीय समिति के प्रमुख संयुक्त रूप से गृह सचिव और निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव होंगे। यह समिति शत्रु शेयरों की बिक्री की मात्रा या मूल्य दायरे के बारे में सुझाव देगी। साथ ही समिति उच्च अधिकार प्राप्त समिति को शत्रु शेयरों की बिक्री के संबंध में सिद्वान्त या तंत्र या तरीके के बारे में सुझाव देगी।