नई दिल्ली। म्यांमार सरकार ने हिंसाग्रस्त राखीन  औैर चिन प्रांत में फिर से दूर संचार सेवाओं को बंद कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य देश म्यांमार पर रोहिंग्या मुस्लिमों का उत्पीड़न करने का आरोप लगा रही हैं। जबकि म्यांमार ने इन आरोपों का खंडन किया है।  म्यांमार ने दो संघर्षग्रस्त पश्चिमी राज्यों में इंटरनेट बंद कर दिया है।

म्यांमार की परिवहन और संचार मंत्रालय ने मोबाइल इंटरनेट ट्रैफिक को तीन महीने के लिए राखीन और चिन राज्यों के पांच शहरों में फिर से बंद करने का आदेश दिया है। सैनिकों और मुस्लिम विद्रोहियों के बीच झड़पों को खत्म करने के लिए शांति वार्ता से पहले सितंबर में चार शहरों में एक महीने के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया था। म्यांमार सरकार ने सुरक्षा आवश्यकताओं और जनहित" का हवाला देते हुए इंटरनेट और दूरसंचार सेवाओं को बंद किया है।  

माना जा रहा है कि म्यांमार के इन शहरों में विद्रोही मुस्लिम हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। जिस बाद म्यांमार सरकार ने ये आदेश दिया है। पिछले महीने राखिन राज्य के एक रोहिंग्या गांव में आग लगने से दो महिलाओं की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए। म्यांमार में 2017 में सैन्य विद्रोह के बाद 730,000 से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों को उत्तरी राखीन राज्य से भागने के लिए मजबूर किया गया। हालांकि यूएन ने कहा कि ये नरसंहार है। लेकिन म्यांमार सरकार ने किसी भी आरोप को सही नहीं बताया है।

हालांकि पिछले दिनों ही म्यांमार को चीन का साथ मिला है और उसने म्यांमार में विद्रोही के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को सही बताया है। क्योंकि चीन भी उइगर मुस्लिमों को लेकर परेशान है। वहीं म्यांमार के इस कदम से बांग्लादेश की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं क्योंकि रोहिंग्या मुस्लिम भागकर बांग्लादेश आते हैं। हालांकि भारत भी  इन रोहिंग्या से अछूता नहीं है। क्योंकि ये बांग्लादेश से अवैध तौर से भारत आ जाते हैं।