गौरतबल है कि दिसंबर में संसद ने 126 वें संविधान (संशोधन) विधेयक के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों के लिए आरक्षण बढ़ा दिया, लेकिन एंग्लो इंडियन का प्रतिनिधित्व खत्म कर दिया है। लेकिन राज्य की कांग्रेस सरकार ने आरक्षित सीट के लिए जबलपुर स्थित डेन्जिल पॉल की सिफारिश की थी.
भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को राज्य के राज्यपाल लाल जी टंडन ने बड़ा झटका दिया है। राज्यपाल ने राज्य जिस एंग्लो इंडियन सदस्य के नामांकन के लिए फाइल राज्यपाल के पास भेजी, उन्होंने उसे राज्य सरकार को वापस कर दिया है और इसमें हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया है। जिसे राज्य की कमलनाथ सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
असल में लोकसभा और 14 राज्यों की विधानसभाओं में एंग्लो-इंडियन समुदाय के लोगों को दिया जाने वाला प्रतिनिधित्व 25 जनवरी को समाप्त हो गया है। लेकिन राज्य की कमलनाथ सरकार ने विधानसभा में एंग्लो-इंडियन सदस्य के नामांकन के लिए इससे पहले राज्यपाल लालजी टंडन के पास फाइल भेजी थी। जिस पर राज्यपाल ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है। गौरतबल है कि दिसंबर में संसद ने 126 वें संविधान (संशोधन) विधेयक के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों के लिए आरक्षण बढ़ा दिया, लेकिन एंग्लो इंडियन का प्रतिनिधित्व खत्म कर दिया है।
लेकिन राज्य की कांग्रेस सरकार ने आरक्षित सीट के लिए जबलपुर स्थित डेन्जिल पॉल की सिफारिश की थी, लेकिन राज्यपाल ने फाइल को मंजूरी नहीं दी। जबलपुर में शैक्षणिक संस्थान चलाने वाली क्रिश्चियन एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष पॉल ने 7 जनवरी को उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की था। याचिका में राज्य सरकार और राज्यपाल के कार्यालय पर निष्क्रियता का आरोप लगाया गया। यह तर्क देते हुए कि सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी थीं, पॉल ने नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए अदालत से निर्देश मांगा। राज्य सरकार ने अदालत से कहा कि यदि याचिकाकर्ता ने एक नया प्रतिनिधित्व दायर किया, तो यह शीघ्रता से तय किया जाएगा।
न्यायाधीश सुबोध अभ्यंकर ने 9 जनवरी को याचिका का निस्तारण किया, याचिकाकर्ता को एक नया प्रतिनिधित्व दाखिल करने का निर्देश दिया और राज्य सरकार और राज्यपाल के कार्यालय से 20 जनवरी को या उससे पहले अंतिम निर्णय लेने के लिए कहा। हालांकि राज्य के राज्यपाल टंडन ने कहा कि इस नामांकन का कोई औचित्य नहीं है। 2011 की जनगणना का हवाला देते हुए, राज्यपाल ने कहा कि राज्य में एंग्लो-इंडियंस नहीं हैं। उन्होंने कहा कि समुदाय का प्रतिनिधित्व 25 जनवरी को समाप्त हो रहा है और केंद्र ने तारीख नहीं बढ़ाई है। जिसके कारण इस पर मंजूरी नहीं दी जा सकती है।
Last Updated Feb 3, 2020, 12:34 PM IST