देशभर के उपभोक्ताओं की नजर आज जीएसटी काउंसिल की होने वाली बैठक में लगी है। माना जा रहा कि इस बैठक में कई उत्पादों को 28 फीसदी के जीएसटी की दर से कम कर 18 फीसदी के दर पर रखा जाएगा। जिसमें गाड़ियों के टायर, सीमेंट, टीवी, कंप्यूटर समेत दो पहिया वाहन भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी ये पहले कुह चुके हैं कि 28 फीसदी की जीएसटी दर में कुछ ही उत्पादों को रखा जाएगा। बाकी उत्पादों को कम दर में रखा जाएगा।

उधर फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय ने भी अचार, टमाटर प्यूरी जैसी चीजों पर जीएसटी हटाने का प्रस्ताव काउंसिल को भेजा है। अभी इन प्रोडेक्ट पर 12-18 फीसदी टैक्स लगता है। ये बैठक काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि काउंसिल कई उत्पादों को 28 फीसदी के स्लैब से हटाकर 18 फीसदी की स्लैब पर लाने की तैयारी कर रही है। ऐसा माना जा रहा है कि सीमेंट, टीवी, कंप्यूटर समेत बाइक को भी 28 फीसदी की दर से 18 फीसदी में ला सकती है। लिहाजा अगर आप बाइक खरीदने की योजना बना रहे हैं तो थोड़ा इंतजार करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। तीन राज्यों के चुनाव में भाजपा को जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया है।

लिहाजा अब भाजपा आम जनता को राहत देने के लिए जीएसटी की दर को कम करने पर जोर दे रही है। काउंसिल यदि आम जन उपयोगी वस्तुओं पर टैक्स कम करने का फैसला लेते है तो यह राहत अलग-अलग मदों में दो रुपए से लेकर 31 हजार रुपए तक हो सकता है। जानकारों के मुताबिक अगर बाइक की कीमत 50 हजार है और इसकी दर 28 फीसदी से 18 फीसदी की जाती है तो उपभोक्ताओं को सीधे तौर पर 4 हजार रुपए तक का फायदा हो सकता है। कल होने वाली बैठक में गाड़ियों के टायर पर जीएसटी 28  फीसदी से घटाकर 18  फीसदी की जा सकती है। वहीं, ई-रिक्शा के टायर पर जीएसटी 8 फीसदी हो सकता है। इसके साथ ही एसी,सीमेंट पर भी जीएसटी की दर घट सकती है।

सीमेंट पर भी जीएसटी 28  फीसदी से घटकर 18  फीसदी हो सकता है। इस बैठक में घरों पर भी जीएसटी घटाने पर चर्चा हो सकती है। इसके अलावा टीवी, कंप्यूटर पर भी जीएसटी घट सकता है। काउंसिल से मंजूरी मिलने के बाद केन्द्र सरकार इस पर फैसला लेगी। सरकार के इस फैसले से रियल स्टेट उद्योग को राहत मिलने की उम्मीद है। काउंसिल में पिछली बार भी इस मुद्दे पर बातचीत हुई, लेकिन कोई फैसला नहीं आया। अभी तक सीमेंट पर 28 फीसदी की जीएसटी दर है। जिसे कम करने पर विचार किया जा सकता है। अक्टूबर में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई उत्पादों की 28 फीसदी की दरों से कम कर दिया गया था। अब केवल 35 वस्तुएं हैं जिन पर सबसे ऊंची रेट से टैक्स लगाया जाता है।

असल में सरकार का तर्क है कि उन्हीं वस्तुओं को 28 फीसदी की दर पर रखा जाना चाहिए जो लक्जरी श्रेणी में आती हैं। या फिर ऐसे उत्पाद जो अहितकर हैं यानी सिगरेट और धूम्रपान की वस्तुएं। जुलाई 2017 को जब जीएसटी लागू किया गया था उस वक्त करीब 226 वस्तुएं 28 फीसदी की श्रेणी में थी जो अब घटकर 35 रह गयी हैं। माना जा रहा है 22 दिसंबर को होने वाली काउंसिल की बैठक काफी अहम होगी। बहरहाल उच्च कर श्रेणी 35 वस्तुएं शामिल हैं। इसमें सीमेंट, वाहनों के कल-पुर्जे, टायर,  वाहनों के उपकरण, मोटर वाहन, विमान, सट्टा तथा तंबाकू, सिगरेट और पान मसाला जैसी अहितकर वस्तुएं शामिल हैं।