केन्द्र के फैसले के बाद सबसे पहले गुजरात में लागू होने वाले गरीब सवर्णों के आरक्षण में गुजरात सरकार ने अपनी तरफ से कई तरह छूट देने का आदेश दिया है. गुजरात सरकार ने सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में लागू किए गए आरक्षण के नियमों में ढील दी है और इस नियम के तहत अब भूमि और घर के मालिकाना हक के शर्तों को इसमें शामिल नहीं किया गया है.

राज्य सरकार ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया है. इसके बाद इसमें बदलाव कर आरक्षण लागू करने वाले गुजरात पहला राज्य बन गया है. हालांकि पहले से ही भूमि और घर के मालिकाना हक की शर्तों को सवाल उठने शुरू हो गये थे. इसके बाद गुजरात सरकार ने ये फैसला किया है. ऐसा माना जा रहा है कि गुजरात सरकार के इस फैसले के बाद कई अन्य राज्य सरकारें अपने राज्य के अनुसार इस आरक्षण में बदलाव करेंगे. गुजरात में सबसे पहले दस फीसदी सवर्ण आरक्षण को लागू किया था और उसके बाद झारखंड और उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे लागू किया है. अब रेलवे भी इसे लागू कर रहा है.

इससे सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में गरीब सवर्णों को नौकरी मिलने और पढ़ने में लाभ मिलेगा. राज्य सरकार द्वारा लिए गए फैसले के मुताबिक राज्य सरकार 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए लाभार्थी के परिवार के पास कृषि योग्य भूमि या घर के नियम को लागू नहीं करेगी बल्कि लाभार्थी के परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम होने पर ही आरक्षण का लाभ लेने के योग्य होंगे. हाल में केंद्र की मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की थी. सवर्ण आरक्षण बिल लोकसभा और राज्‍यसभा में पास होने के बाद राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 13 जनवरी को इस बिल को मंजूरी दी है. 

मोदी सरकार के मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखे जा रहे सवर्ण आरक्षण बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है. बिल के अनुसार आरक्षण का फॉर्मूला 50%+10% का होगा. जिन लोगों की सालाना आमदनी 8 लाख से कम होगी उन्‍हें आरक्षण का लाभ मिलेगा. जिन सवर्णों के पास खेती की 5 एकड़ से कम जमीन होगी, उन्‍हें आरक्षण का लाभ मिलेगा. इस आरक्षण का लाभ वे सवर्ण पा सकेंगे, जिनके पास आवासीय भूमि 1000 वर्ग फीट से कम होगी.