अहमदाबाद। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने चुनावी बांड को लेकर बड़ी बात कही है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री ने कहा कि धन के बिना राजनीतिक पार्टी चलाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने 2017 में "अच्छे इरादे" के साथ चुनावी बांड योजना शुरू की थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कोई और निर्देश देता है तो सभी राजनीतिक दलों को एक साथ बैठकर विचार-विमर्श करने की जरूरत है।

केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा, 'संसाधनाें के बिना जीवित रहना मुश्किल'
उन्होंने यह टिप्पणी 22 मार्च को गुजरात के गांधीनगर के पास गिफ्ट सिटी में एक मीडिया हाउस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि जब अरुण जेटली केंद्रीय वित्त मंत्री थे, मैं चुनावी बांड के संबंध में हुए निर्णय का हिस्सा था। कोई भी पार्टी संसाधनों के बिना जीवित नहीं रह सकती। कुछ देशों में सरकारें राजनीतिक दलों को धन देती हैं। भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। 

' चुनावी बांड शुरू करने के पीछे हमारी सरकार का इरादा अच्छा था '
उन्होंने कहा कि चुनावी बांड शुरू करने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह था कि राजनीतिक दलों को सीधे धन मिले, लेकिन दाताओं के नाम का खुलासा नहीं किया जाए, क्योंकि अगर सत्ता में पार्टी बदलती है तो समस्याएं पैदा होती हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि जिस तरह एक मीडिया हाउस को किसी कार्यक्रम के वित्तपोषण के लिए प्रायोजक की जरूरत होती है, उसी तरह राजनीतिक दलों को भी अपना कामकाज चलाने के लिए धन की जरूरत होती है।

सुप्रीम कोर्ट को कमी मिलती है, तो हम सुधार के लिए तैयार: नितिन गडकरी
उन्होंने ने कहा कि जमीनी हकीकत देखने की जरूरत है। हम पारदर्शिता लाने के लिए चुनावी बांड की यह प्रणाली लाए हैं। इसलिए, जब हम चुनावी बांड लाए तो हमारा इरादा अच्छा था। अगर सुप्रीम कोर्ट को इसमें कोई कमी मिलती है और हमसे इसे सुधारने के लिए कहते हैं तो सभी दल एक साथ बैठेंगे और सर्वसम्मति से इस पर विचार-विमर्श करेंगे। पूर्व भाजपा अध्यक्ष ने जोर दिया कि हमारे देश और मूल्य-आधारित लोकतंत्र के हित में, सभी को  एक पारदर्शी तरीका खोजने की जरूरत है। क्योंकि धन के बिना पार्टियां कोई भी गतिविधि नहीं कर सकतीं।

सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी है चुनावी बांड्स पालिसी
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते एक ऐतिहासिक फैसले में अप्रैल-मई के लोकसभा चुनावों से पहले चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह योजना बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के साथ-साथ सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन करती है। तब से SBI ने चुनाव आयोग को चुनावी बांड से संबंधित डेटा के विभिन्न सेट जारी किए हैं, जिसमें योजना के तहत राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त धन के बारे में विवरण शामिल है।

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