राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों में हुई हार के बाद भाजपा ने रणनीति में जबरदस्त बदलाव किया है। अब सभी राज्यों में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाली जातियों के नेताओं को साथ लाने का काम तेज कर दिया गया है। राजस्थान में पार्टी एक बार फिर 25 सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ उतरी है। इसके लिए भाजपा ने गुर्जर आंदोलन के नेता किरोड़ी सिंह बैसला को अपने साथ जोड़ लिया है। बुधवार को किरोड़ी सिंह बैंसला अपने बेटे विजय बैंसला के साथ भाजपा में शामिल हो गए। 

यह हनुमान बेनीवाल के बाद राज्य में भाजपा का विरोधियों को दूसरा बड़ा सरप्राइज है। राजस्थान प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय में बैंसला और उनके बेटे को भाजपा में शामिल किया है। खास बात यह है कि बैसला को भी हनुमान बेनीवाल की तरह राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का धुर विरोधी माना जाता है। ऐसी खबरें हैं कि बैंसला को पार्टी में लाने से वसुंधरा राजे नाराज हो गई हैं। 

जाट और गुर्जर बिरादरी के दो बड़े नेताओं को पार्टी से जोड़कर भाजपा ने बड़ा सियासी गणित साधने की कोशिश की है। खास बात यह है कि इन दोनों जातियों का पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों पर भी सीधा प्रभाव है। दोनों ही जगह पहले चरण में मतदान होने वाला है।

हनुमान बेनीवाल की हो चुकी है पार्टी में वापसी

कुछ दिन पहले भाजपा ने राजस्थान में जाट नेता हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) से गठजोड़ करने की घोषणा की थी। समझौते के तहत पार्टी नागौर की सीट आरएलपी के लिए छोड़ेगी। इस सीट पर विधायक बेनीवाल खुद चुनाव लड़ेंगे। वहीं इसके बदले में पार्टी राजस्थान के साथ साथ पड़ोसी हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश व दिल्ली जैसे राज्यों में भाजपा को समर्थन देगी और उसके प्रत्याशियों को जिताने में मदद करेगी।  हनुमान बेनीवाल पहले भाजपा में हुए करते थे। साल 2008 में वह भाजपा के टिकट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। 2013 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की। राजस्थान में पिछले विधानसभा चुनाव से पहले बेनीवाल ने अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाई जिसने तीन सीटें जीतीं।