लोकसभा चुनाव के लिए मतगणना जारी है। ज्यादातर सीटों पर मतगणना सत्तर फीसदी से ज्यादा हो गयी है। इसमें 302 सीटों के साथ बीजेपी भारी जीत की तरफ बढ़ गयी है जबकि कांग्रेस को एक बार फिर लोकसभा चुनाव में करारी हार मिली है। कांग्रेस का नेतृत्व संभाल रहे राहुल गांधी एक बार फिर फ्लाप साबित हुए हैं। लेकिन दिलचस्प ये है कि इस बार राहुल गांधी का मंदिर कार्ड सफल नहीं हो पाया है। जबकि छह महीने पहले तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में राहुल के मंदिर कार्ड का असर देखने को मिला था।

असल में 2017 में गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने मंदिर कार्ड को खेलना शुरू किया। वह अपनी चुनावी रैलियों में हिंदू वोटरों को लुभाने के लिए मंदिरों में गए जबकि मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए दरगाह और मस्जिदों जाने से भी परहेज नहीं किया। गुजरात चुनाव में कांग्रेस ने थोड़ा अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन राज्य में सरकार बीजेपी ने बहुमत से बनायी।

राहुल गांधी के इस सफल प्रयोग के बाद कांग्रेस ने इसी कार्ड को पिछले साल दिसंबर में हुए तीन राज्यों के विधानसभा में लागू किया। इस दौरान राहुल गांधी ने इन तीन राज्यों के ज्यादातर मंदिरों के दर्शन किए। लिहाजा तीन राज्यों में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रही। इसी का प्रयोग राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी उनकी बहन प्रियंका गांधी ने किया।

प्रियंका को जब सक्रिय राजनीति में उतारा गया, तब उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुंभ चल रहा था। लिहाजा पहले प्रियंका ने कुंभ में स्नान करने की योजना बनाई थी। लेकिन मुस्लिमों वोटों की नाराजगी को देखते हुए प्रियंका ने योजना को टाल दिया। हालांकि चुनाव घोषित होने के साथ ही प्रियंका को जब पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया तो प्रियंका ने हिंदू वोटर खास तौर से सवर्णों को लुभाने के लिए प्रयागराज से वाराणसी, विध्ववासिनी देवी के दर्शन किए।

इसके बाद प्रियंका ने अयोध्या में हनुमान गढ़ी के भी दर्शन किए। हालांकि इस बीच वह रामलला के दर्शन करने नहीं गयी। अगर देखें तो राहुल गांधी ने खुलकर अपना साफ्ट हिंदुत्व कार्ड खेला। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में ये कार्ड पूरी तरह से फेल हो गया। यहां तक कि कुछ महीने पहले अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी में मंदिरों के निर्माण और साज सज्जा के लिए पैसा भी आवंटित किया।

फिलहाल इसका फायदा उन्हें मिलते नहीं दिख रहा है। इस बार उन्हें अमेठी से ही हार का सामना करना पड़ रहा है। हिंदू वोटरों को लुभाने के लिए 2018 में राहुल ने मानसरोवर की यात्रा भी की। तो कांग्रेस के नेताओं ने उन्हें शिवभक्त के तौर पर प्रचारित किया।