अयोध्या में राम जन्म भूमि विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज से इस मामले की सुनवाई करेगी. राजनीतिक रूप से संवेदनशील इसकी सुनवाई पर पूरे देश की नजर लगी हुई है. यह पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगी.
दो दिन पहले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ का गठन कर दिया था. इसमें न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ शामिल हैं.

पीठ का गठन होने के बाद इस मामले में देश की जनता को फैसले की उम्मीद है. असल में सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत ने पूर्वा सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने पिछले साल 27  सितंबर को 2:1 के बहुमत से मामले को पुनर्विचार के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से मना कर दिया था. जिसमें ये कहा गया था कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है.

ये मामला अयोध्या भूमि विवाद मामले पर सुनवाई के दौरान उठा था. हालांकि चार जनवरी को सीजेआई ने महज कुछ ही मिनटों में इसकी सुनवाई को अगली तारीख के लिए टाल दिया गया और इसमें में इस बात का कोई संकेत नहीं था कि भूमि विवाद मामले को संविधान पीठ को भेजा जाएगा. अब राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में आज से नए सिरे से सुनवाई होगी जिसमें मामले की आगे की रूपरेखा तय होगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर देशभर की नजर लगी हुई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सभी तीनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसके बाद करीब आठ साल से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

उधर एक याचिका शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की है, जिसने अयोध्या में मंदिर बनवाने के लिए हिन्दुओं का समर्थन किया है. असल में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित 2,.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बराबर बांटने का फैसला सुनाया था.
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मामले की सुनवाई की तारीख और बेंच पर फैसला करने की बात कही थी. वहीं केंद्र सरकार चाहती है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनाई रोजाना के आधार पर हो.

देश में आम चुनाव होने हैं और इसको देखते हुए ये सुनवाई काफी अहम है. आम चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं और राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ तमाम संगठनों के द्वारा सरकार पर अध्यादेश लाने का दबाव है. तीन दिन पहले एक न्यूज एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने साफ कहा था कि भाजपा राम मंदिर पर कोई अध्यादेश नहीं लाएगी.