बनारस: बीएचयू की छात्राएं शनिवार की रात से बेहद आंदोलित हैं। उन्होंने सड़क पर उतकर विरोध करने का फैसला किया है। यह छात्राएं इसलिए नाराज हैं क्योंकि उनके मुताबिक यौन शोषण के आरोप एक प्रोफेसर एस.के.चौबे को कथित रुप से फिर से बहाल कर लिया गाय है। इस प्रोफेसर पर छात्राओं के खिलाफ आपत्तिजनक और भद्दी टिप्पणियां करने का आरोप है। 


आरोपी प्रोफेसर चौबे की बर्खास्तगी की मांग को लेकर छात्राओं ने शनिवार रात को धरना शुरू कर दिया। जिसमें कई छात्र संगठन उनका साथ दे रहे हैं। आंदोलनकारी छात्र तख्तियां लेकर  बीएचयू प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। 

 हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक आरोपी प्रोफेसर पर अभी तक प्रतिबंध लगा हुआ है और उसे किसी तरह की जिम्मेदारी का पद नहीं दिया जा रहा है। लेकिन छात्राएं आरोपी प्रोफेसर की पूरी तरह बर्खास्तगी की मांग पर अड़ी हुई हैं। 

समाचार एजेंसी ने बताया है कि  बीएचयू के रजिस्ट्रार नीरज त्रिपाठी ने जानकारी दी है कि  "उन्हें पहले निलंबित कर दिया गया था, लेकिन अब प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस मामले को फिर से बीएचयू में निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय तक ले जाया जाएगा।"

रजिस्ट्रार ने बताया है कि "उपकुलपति ने शिकायत का संज्ञान लिया और उन्हें निलंबित कर दिया। एक जांच समिति ने बाद में एक रिपोर्ट दायर की और बीएचयू के निर्णय लेने वाले सर्वोच्च निकाय ने प्रोफेसर पर प्रतिबंध लगा दिया है। वह न तो बीएचयू में जिम्मेदारी का पद संभाल सकते हैं और न ही किसी कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं और न किसी अन्य कॉलेज या विश्वविद्यालय में आवेदन कर सकते हैं।"

आरोपी प्रोफेसर चौबे पर यह आरोप है कि अक्टूबर 2018 में पुणे दौरे के दौरान इस प्रोफेसर ने कुछ लड़कियों पर आपत्तिजनक और भद्दी टिप्पणियां की थीं। जिसके खिलाफ छात्राओं ने दौरे से लौटने के बाद शिकायत दर्ज कराई।  बीएचयू प्रशासन ने आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित की जिसके बाद प्रोफेसर को निलंबित कर दिया गया।  समिति ने छात्राओं के बयानों के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की, उसमें चौबे को दोषी पाया गया था।