हेराल्ड हाउस खाली कराने का मामला आज दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच के सामने पहुंचा। जहां अभिषेक मनु सिंघवी ने एजेएल का बचाव किया औऱ बिल्डिंग खाली कराए जाने के आदेश के खिलाफ दलीलें दीं।
हेराल्ड हाउस को खाली करने के सिंगल बेंच के फैसले को एजेएल की याचिका पर सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में एजेएल का बचाव करते हुए कहा कि हेराल्ड हाउस की लीज एलएनडीओ की तरफ़ से सिर्फ इसलिए रद्द कर दी कि वहाँ से न्यूज़पेपर प्रिंट नहीं किया जा रहा है।
न्यूज़पेपर अगर किसी और जगह से प्रिंट हो रहा है तो इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है क्योंकि वहां बाकी के अख़बार भी नोएडा से ही प्रकाशित किये जा रहे है। लेकिन इन सभी का ऑफिस बहादुर शाह जफर रोड पर है।
सिंघवी ने कहा कि शेयर होल्डर कंपनी ने कंपनी के ऑफिस बेयरर को ही वो शेयर ट्रांसफर किए, इससे लीज की शर्तों का कहीं भी उल्लंघन नही हुआ।
सिंघवी ने कहा कि हाईकोर्ट सिंगल बेंच ने आदेश में कहा है कि एजेएल सर्कुलेशन की जानकारी नहीं बता पाया। लेकिन सच्चाई ये है कि सुनवाई के दौरान कभी भी सर्कुलेशन के बारे में पूछा ही नहीं गया था। हमारे पास सर्कुलेशन को लेकर एबीसी का सर्टिफिकेट भी है।
बता दें कि एकल पीठ ने एजेएल को आईटीओ परिसर स्थित नेशनल हेराल्ड बिल्डिंग को 2 हफ्ते के भीतर खाली करने का आदेश दिया था। जिसको एजेएल ने डिवीजन बेंच में चुनौती दे रखी है।
पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ को केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील राजेश गोगन ने बताया कि सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता इस केस का नेतृत्व कर रहे हैं और वो किसी काम मे बिजी है।
वहीं एजेएल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी भी मौजूद नही थे। जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 15 जनवरी तक के लिये टाल दिया था।
बतादें कि दिल्ली हाइकोर्ट ने एजेएल की याचिका को खारिज कर दिया था और दो हफ्ते के भीतर हेराल्ड बिल्डिंग को खाली करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर 2 हफ्ते में बिल्डिंग को खाली नही किया गया तो कानून के तहत करवाई की जाएगी।
कोर्ट ने यह फैसला केंद्र सरकार के 30 अक्टूबर को भेजे हए नोटिस और नेशनल हेराल्ड बिल्डिंग की लीज खत्म करने के फैसले को एजेएल द्वारा दी गई चुनौती पर सुनवाई के बाद दिया था।
न्यायमूर्ति सुनील गौड़ के समक्ष सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि एजेएल को समाचार पत्र प्रकाशन के लिए बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित जमीन लीज पर दी गई थी।
लेकिन वहां पर 2008 से 2016 के बीच प्रकाशन बंद कर दिया गया। कंपनी ने इस इमारत की तीन मंजिल किराये पर दे दी थी। जिससे उसे 15 करोड़ रुपये किराया मिल रहा था। यह लीज शर्तो का उल्लंघन है इसलिये कंपनी को हेराल्ड हाउस खाली करने का आदेश दिया था।
एजेएल ने कहा था कि सरकार का यह आदेश राजनीति से प्रेरित है और इसका मकसद विपक्षी पार्टियों की असंतोष की आवाज को दबाना व बर्बाद करना है।
Last Updated Jan 28, 2019, 6:44 PM IST