प्रदेश में राज्यकर्मचारियों की हड़ताल हालांकि हाईकोर्ट की सख्ती के बाद स्थगित हो गयी है। लेकिन राज्य सरकार ने भी कर्मचारियों को खुश करने के लिए पेंशन में अपना अंशदान दस फीसदी से बढ़ाकर चौदह फीसदी कर दिया है। कोर्ट की सख्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोर्ट ने कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा है। राज्य सरकार ने हड़ताल में एस्मा लगाया था।

उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के कर्मचारियों की हड़ताल के वजह से सरकार कार्य पूरी तरह से ठप हो गए थे। राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों ने हड़ताल में जाने का फैसला कर राज्य सरकार को मुश्लिल में डाल दिया था। हालांकि इस हड़ताल में परिवहन और स्वास्थ्य सेवाओं के कर्मचारियों ने हिस्सा नहीं लिया था। इस हड़ताल को रोकने के लिए सरकार ने कर्मचारियों के साथ बैठक भी की थी।

लेकिन कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग पर अड़े थे। हालांकि राज्य सरकार ने हड़ताल पर एस्मा लगाई थी। लेकिन उसके बावजूद कर्मचारी हड़ताल पर थे। सरकार ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। क्योंकि राज्य में बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं। उधर हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्यकर्मियों की महाहड़ताल देर रात स्थगित कर दी गयी। कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्यकर्मियों की महाहड़ताल को गैरकानूनी घोषित कर दिया।

कोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार से हड़ताल की वीडियोग्राफी कराने और इसमें शामिल कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कारवाई के निर्देश दिये है। सुनवाई के समय अदालत ने कहा कि ऐसे समय जब परीक्षाएं नजदीक हैं और हजारों की संख्या में जनता बीमारी से पीड़ित है, महाहड़ताल एकदम गलत है। याचीकर्ता ने अदालत को बताया कि उसके बच्चों की परीक्षाएं होने वाली हैं। वह पति-पत्नी दोनों बीमार हैं।

ऐसे में राज्य कर्मचारियों द्वारा हड़ताल से याची सहित अनेक लोगों को बहुत बड़ी हानि हो सकती है। याची की ओर से एक नजीर का भी हवाला देते हुए कहा गया कि राज्यकर्मियों का एक साथ इतनी बड़ी हड़ताल पर जाना गलत है। वहीं कल राज्य की विधानसभा पेश किए बजट में सरकार ने कर्मचारियों के लिए पेंशन का अंशदान बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया था जबकि ये 10 फीसदी था। इसके साथ ही पहले से जमा नहीं किए गए अंशदान के लिए सरकार ने बजट में अलग से प्रावधान किया है।