जनसंख्या नियंत्रण को लेकर दाखिल याचिका पर दिल्ली हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। 3 सितंबर को कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा। 
यह याचिका बीजेपी नेता और पेशे से वकील अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र को जनसंख्या नियंत्रण के लिए कदम उठाने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है। अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि देश मे अपराध, प्रदूषण बढ़ने और संसाधनों एवं नौकरियों की कमी का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है। 

याचिका में जनसंख्या नियंत्रण के लिए जस्टिस वेंकटचलैया की अगुवाई में राष्ट्रीय संविधान समीक्षा आयोग की सिफारिशें लागू करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि एनसीआरडब्ल्यूसी ने दो साल तक काफी प्रयास और व्यापक चर्चा के बाद संविधान में अनुच्छेद 47A  शामिल करने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था। 

याचिका में कहा गया है कि अब तक संविधान में 125 बार संशोधन हो चुका है। सैकड़ों नए कानून लागू किए गए, लेकिन जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया, जिसकी देश को अत्यंत आवश्यकता है और जिससे भारत की 50 फीसदी से अधिक समस्याएं दूर हो सकती है। 

याचिका में यह भी आदेश देने की मांग की गई है कि केंद्र, सरकारी नौकरियों, सहायता एवं सब्सिडी के लिए दो बच्चों का नियम बना सकता है और इसका पालन नहीं करने पर मतदान का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार, संपत्ति का अधिकार, निः शुल्क आश्रम का अधिकार, निः शुल्क कानूनी सहायता का अधिकार जैसे कानूनी अधिकार वापस लिए जा सकते है। 

याचिका में दावा किया गया है कि भारत की जनसंख्या चीन से अधिक हो गई है क्योंकि हमारी जनसंख्या के करीब 20 प्रतिशत के पास आधार कार्ड नहीं है और इसलिए सरकारी आंकड़ों में वे शामिल नहीं है और देश मे करोड़ो रोहिंग्या एवं बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे है। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि बलात्कार घरेलू हिंसा जैसे जघन्य अपराधों के पीछे का एक  मुख्य कारण होने के अलावा जनसंख्या विस्फोट भ्रष्टाचार का भी मूल कारण है।