टीवी चैनल 'टाइम्स नाऊ' के मुताबिक, यहां के एक गांव के हिंदू मतदाताओं ने दावा किया है कि उन्हें मतदान करने नहीं जाने दिया गया। यह गांव मुस्लिम बहुल है।

पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण में हो रही वोटिंग के बीच एक एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। टीवी चैनल 'टाइम्स नाऊ' की रिपोर्ट के मुताबिक, बंगाल के रायगंज जिले में धर्म के आधार पर वोटरों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। 

चैनल के मुताबिक, यहां के एक गांव के हिंदू मतदाताओं ने दावा किया है कि उन्हें मतदान करने नहीं जाने दिया गया। वहीं कुछ ने कहा कि उनके नाम पर कुछ फर्जी वोटरों ने वोट डाल दिया है। इन लोगों का कहना है कि जब सुबह वे मतदान के लिए पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि उनके नाम पर वोट पड़ चुका है। चैनल ने चश्मदीदों के हवाले से कहा है कि कुछ मुस्लिम लोगों ने हिंदू वोटरों को वोट डालने से रोका। यही नहीं उनके वोटर आईडी कार्ड भी ले लिए।

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चैनल के संवाददाता तमाल साहा ने ऐसे हिंदू वोटरों से बात की जिन्हें वोट डालने से रोका गया। इस दौरान इन लोगों ने अपनी वोटर स्लिप और उंगलियां भी दिखाईं, जिन पर स्याही नहीं लगी थी। इन लोगों का दावा है कि उन्हें इसलिए वोट करने से रोक दिया गया क्योंकि वे भाजपा को वोट देना चाहते थे। 

यह गांव मुस्लिम बहुल आबादी वाला है। हालांकि यहां 600 हिंदू भी रहते हैं। इनमें से जो लोग सुबह वोट डालने गए थे, उन्हें चुनाव अधिकारियों ने बताया कि उनका वोट पड़ चुका है। लोगों का कहना है कि यहां के कथित तौर पर मुस्लिम टीएमसी से जुड़े हुए हैं। 

इससे पहले, भाजपा महासचिव और रायगंज से उम्मीदवार देबश्री चौधरी ने भी आरोप लगाया कि टीएमसी कार्यकर्ता मतदान केंद्रों पर कब्जे  की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'टीएमसी कार्यकर्ता बूथ कैपचरिंग की कोशिश में हैं। वे मुसलमानों के बीच जाकर प्रचार कर रहे हैं जबकि चुनाव के दौरान ऐसा नहीं किया जा सकता।' 

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वहीं रायगंज से सीपीएम के प्रत्याशी मोहम्मद सलीम की कार पर भी हमला हुआ था। चुनाव में गड़बड़ी की सूचना मिलने के बाद मोहम्मद सलीम खुद इस्लामपुर इलाके में मौके पर जा रहे थे। इसी दौरान उनके काफिले पर पथराव किया गया। आरोप है कि कुछ लोगों ने उनकी कार पर फायरिंग भी की। इस घटना के बाद मोहम्मद सलीम ने हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। 

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