राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने राम मंदिर को लेकर सरकार पर अध्यादेश लाने का दबाव बढ़ा दिया है। मुंबई में तीन दिन से चल रही संघ की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए संघ के सर कार्यवाहक भैय्याजी जोशी ने कहा, हिंदू समाज चाहता है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो। हमें इस मामले में जल्द निर्णय आने की उम्मीद थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे टालकर इंतजार और बढ़ा दिया है। अगर जरूरत पड़ी तो हम एक बार फिर 1992 जैसा आंदोलन करेंगे। 

उन्होंने कहा, 'राम मंदिर के निर्माण की प्रतीक्षा लंबी होती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई को 7 साल हो गए हैं। जब तीन जजों की पीठ बनी थी तो हमें उम्मीद थी जल्द इसपर कोई निर्णय आएगा। पर उस पीठ का कार्यकाल समाप्त हो गया। कोर्ट ने फिर नए नामों की घोषणा कर दी और कोर्ट ने 29 अक्टूबर तक के लिए उसे टाल दिया। हमें उम्मीद बंधी कि दिवाली से पहले कुछ शुभ समाचार मिल जाए। लेकिन शीर्ष अदालत ने इस मामले की सुनवाई को ही अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया। 

शीर्ष अदालत में सुनवाई टलने के सवाल पर जोशी ने कहा, 'यह कोर्ट का अधिकार है। उनके इस अधिकार पर हम टिप्पणी नहीं करेंगे। लेकिन उनकी प्राथमिकताएं अलग होने वाले बयान से हमें दुख है। हिंदू समाज की भावनाओं से जुड़े इस मुद्दे पर जिस तरह से जवाब दिया गया, इससे हिंदू समाज अपमानित महसूस कर रहा है। करोड़ों हिंदुओं की आस्था अदालत की प्रथामिकता में नहीं है, यह आश्चर्यजनक है।' 

उन्होंने कहा, 'हमने कभी अदालत की उपेक्षा नहीं की है। पर अदालत भी समाज की भावनाओं का सम्मान करे। हम संविधान का सम्मान करने वालों में से हैं। कोर्ट इस मामले को प्राथमिकता से ले।' 

भैय्याजी जोशी ने कहा, 'राम सबके ह्रदय में रहते हैं पर वो होते हैं मंदिरों के द्वारा। हम चाहते हैं कि मंदिर बने। काम में कुछ बाधाएं अवश्य हैं और हम अपेक्षा कर रहे हैं कि न्यायालय हिंदू भावनाओं को समझ के निर्णय देगा।' 

जोशी ने कहा, यह कोर्ट की जिम्मेदारी बनती है कि वह लोगों की भावनाओं का सम्मान करे और अगर कोई विकल्प नहीं बचता है तो फिर सरकार इस पर विचार करे। इससे पहले, महासचिव मनमोहन वैद्य ने कहा था कि राम मंदिर का निर्माण राष्ट्रीय गौरव का विषय है और अभी तक अयोध्या विवाद का हल अदालतों में नहीं निकला है।