एसयू-30 एमकेआई विमानों को वायुसेना को सौंपने में देर कर रही स्वदेशी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने 40 और विमानों को वायुसेना को 100 करोड़ की डिस्काउंट पर बेचने की पेशकश की है। इसमें मेक इन इंडिया के कॉम्पोनेंट को कम करके एचएएल ने यह प्रस्ताव दिया है। 

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने अब तक वायुसेना से 272 एसयू-30 एमकेआई विमान बनाने के आदेश प्राप्त किए हैं, जिस प्रोजेक्ट में कंपनी तीन साल से ज्यादाकी देर कर दी है। जिन विमानों को एचएएल द्वारा 2017 में सौंपा जाना था, उनको 2020 में सौंपने की संभावना है। 

सरकारी सूत्रों ने मायनेशन को बताया कि "वायुसेना अब इन विमानों को खरीदने में दिलचस्पी नहीं रखती क्योंकि उन्हें इन हेवीवेट विमानों के 11-12 स्क्वाड्रन मिल चुके हैं। अब वायुसेना अपने बेडे़ के लिए मल्टीरोल लड़ाकू विमान चाहती है।"

दरअसल, रूस से सीधे खरीदे जाने वाले एसयू-30 एमकेआई विमानों की कीमत पर विमान 315 करोड़ है जबकि एचएएल के माध्यम से इसकी खरीद पर 415 करोड़ का खर्च आता है जो कि एचएएल के नासिक प्लांट में एसेम्बल किए जाते हैं।

सूत्रों ने बताया कि वर्तमान प्रस्ताव के तहत, एचएएल मेक इन इंडिया के कॉम्पोनेंट को कम कर विमानों को कम कीमत पर वायु सेना को उपलब्ध कराने की योजना बना रही है।

आरोपों के मुताबिक सुखोई-30 विमानों की कीमत फ्रेंच राफेल की एक तिहाई है। वहीं सूत्र बताते हैं कि इन रूसी विमानों के मेंटेनेंस का खर्चा राफेल से तीन-गुना ज्यादा है।

एक राफले या इसी तरह के विमान पर प्रति वर्ष मेंटेंनेंस का खर्च 9 करोड़ रुपये हैं जबकि इसी उद्देश्य के लिए सुखोई-30 पर आने वाली लागत तीन गुना ज्यदा लगभग 27 करोड़ रुपये है।

मोदी सरकार ने एचएएल को 83 एलसीए एमके1 ए विमानों को बनाने के आदेश दिए हैं, साथ ही हर साल उत्पादित स्वदेशी विमानों की संख्या बढ़ाने के लिए उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने को कहा है।

इसी तरह, पांचवी पीढ़ी के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान के प्रोजेक्ट में देश के एकमात्र पब्लिक सेक्टर एयरोस्पेस कंपनी की भूमिका अहम होगी।