लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में मिली हार के बाद राज्य की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी दो साल बाद राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी तरह के हथकंड़े अपना रही हैं। अब ममता ने राज्य का नाम पश्चिम बंगाल से 'बांग्ला'  करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय को भेजा लेकिन गृहमंत्री अमित शाह ने महज एक शब्द नहीं से ममता के इस मेगा प्लान का खेल बिगाड़ दिया। हालांकि राज्य का नाम बदलने का दांव ममता ने 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले भी खेला था।

ममता बनर्जी को लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा है। लोकसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी राज्य के साथ ही केन्द्र की राजनीति में कमजोर पड़ गयी हैं। क्योंकि जिस तरह से बीजेपी ने राज्य में 18 लोकसभा की सीटें जीती और टीएमसी 22 पर सिमटी, उससे ममता की पार्टी की राज्य में नींव डगमगाने लगी है। ममता को भी लग रहा है कि जब तक बंगाल को लेकर संवेदनशील मुद्दा नहीं उठाया जाएगा तब तक विधानसभा चुनाव में उसकी सत्ता में वापसी संभव नहीं है।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को राज्य में 40 फीसदी और टीएमसी को 43 फीसदी वोट मिले हैं। यानी दोनों दलों के बीच ये अंतर महज तीन फीसदी का है। ममता को लगता है कि राज्य में हाशिए पर चल रही सीपीएम का कैडर वोट बैंक अगर बीजेपी की तरफ चला गया तो राज्य में फिर से सत्ता में आना उसके लिए मुश्किल हो जाएगा। लिहाजा अब ममता ने राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा। ममता बनर्जी ने एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा तो केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने सीधे तौर पर उनकी मांग को ठुकरा दिया है।

ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलने के संबंध में पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। इससे पहले 2011 में ममता बनर्जी ने राज्य का नाम बदलने का शिगूफा झेड़ा था। उस वक्त केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन उस वक्त भी सरकार ने नाम बदलने से मना कर दिया। उस वक्त ममता ने राज्य का नाम पश्चिम बंगो रखने का प्रस्ताव केन्द्र को दिया था।

हालांकि इसके बाद 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले ममता सरकार ने राज्य का नाम तीन भाषाओं में तीन अलग-अलग रखने का फैसला किया था। जिसके तहत राज्य का नाम बांग्ला में बांग्ला, अंग्रेजी में बेंगाल और हिंदी में बंगाल रखा जाना था, लेकिन केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।