पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए फिदायीन हमले को 24 घंटे भी नहीं बीते कि कांग्रेस के कुछ नेता और जिहादियों मुख्यधारा में लाने की दलील देने वालों ने सोशल मीडिया पर सियासी खेल खेलना शुरू कर दिया है। 

ऐसे समय जब पूरा देश इस हमले के खिलाफ गुस्से में है और बदला लेने की मांग कर रहा है, देश की मुख्य विपक्षी पार्टी की ओर से गैर जिम्मेदाराना बयान आ रहे हैं। यही नहीं कुछ तथाकथित स्वतंत्र आवाजें भी पाकिस्तान की भाषा बोल रही हैं। 

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सबसे पहला बयान दिया। उन्होंने राजनीतिक लाभ लेने के लिए एक ट्वीट किया, जिसमें सरकार के साथ खड़े होने के बजाय पीएम पर हमला करने की कोशिश की। '56 इंच की छाती' को लेकर बयानबाजी की।

उनके इस ट्वीट का सोशल मीडिया पर कड़ा प्रतिरोध देकने को मिला। देश में हुई इतनी  बड़ी घटना के बाद इसे सबसे गैरजिम्मेदाराना बयान कहा गया। एक के बाद एक कई पोस्टों में सुरजेवाला की मजम्मत की गई। 

हालांकि वह ऐसा करने वाले अकेले नहीं थे, इसमें उन्हें साथ मिला कुछ 'शहरी नक्सलियों' का। सरकार पर हमला करने के लिए कांग्रेस के 'चीयरलीडर' की तरह प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पर निजी हमले किए गए। 

 मोदी से नफरत का यह ट्रेंड कुछ ही देने में देश विरोधी ट्रेंड बन गया। इतने बड़े हमले के दिन कश्मीर पर भारत के रुख को लेकर सवाल पूछे गए। पाकिस्तानी मीडिया भी इस तरह से कश्मीर को लेकर सवाल खड़े नहीं करती। 

कुछ पत्रकार और मीडिया प्लेटफॉर्म आत्मघाती हमलावर की शान में कसीदे पढ़ते नजर आए। यह कुछ उसी तरह का प्रयास था जब एक स्टार एंकर ने सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए आतंकी बुरहान वानी के प्रति 'हेडमास्टर के बेटे' शब्द का इस्तेमाल कर सहानुभूति जताई थी। 

यही नहीं मोदी विरोध के प्रख्यात मीडिया हाउस एनडीटीवी को एक पत्रकार उस समय दो हफ्ते के लिए सस्पेंड करना पड़ा जब उसने मोदी पर तंज कसने के लिए कत्लेआम की शान में कसीदे पढ़े। 

यह सब जारी रहने के बीच कई ऐसे भी थे, जिन्होंने देश विरोधी सुर जारी रखे।  इस सबमें कांग्रेस ने नए बयानवीर और पाकिस्तान प्रेमी नवजोत सिंह सिद्धू  कहां पीछे रहने वाले थे। इस आतंकी हमले की निंदा तो उन्होंने की लेकिन साथ ही कहा कि इस समस्या का हल बातचीत से ही निकलेगा। आतंकवाद का कोई देश नहीं होता।