कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर चलाई गई एक 'फेक न्यूज' को आधार बनाकर बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला किया। राहुल ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए कुछ बिंदु रखे। राहुल के आरोपों का बिंदुवार विश्लेषण कर 'माय नेशन' बता रहा है कि कैसे कांग्रेस अध्यक्ष के दावे तथ्यों से मेल नहीं खाते। 

1. राहुल का दावा है कि 'फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा होलांदे खुलासा कर चुके हैं कि भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें कहा था कि रिलायंस को यह सौदा मिलना चाहिए। अब राफेल के एक वरिष्ठ अधिकारी भी ऐसा ही कह रहे हैं। यह साफतौर पर भ्रष्टाचार का मामला है।'

तथ्यः फ्रांस सरकार और पूर्व राष्ट्रपति होलांदे खुद इन आरोपों से इनकार कर चुके हैं। दिलचस्प है कि इस मुद्दे पर दोनों ही रिपोर्ट फ्रांसीसी वेबसाइट 'मीडिया पार्ट' ने चलाई। फ्रांस सरकार और दसॉल्ट एविएशन ने इन दावों का खंडन किया है। हालांकि फ्रांसीसी प्रकाशन ने अपने दावे के समर्थन में इस इंटरव्यू का कोई वीडियो अथवा ऑडियो वर्जन अब तक जारी नहीं किया। 

2. राहुल के मुताबिक, डिप्टी सीईओ ने कथित बयान में कहा कि दसॉल्ट पर रिलायंस को साझीदार बनाने के लिए दबाव बनाया गया। 'दसॉल्ट के पास एक बहुत बड़ा सौदा है। दसॉल्ट वही कहेगी, जो सरकार उसे कहने के लिए कहेगी। दसॉल्ट का अंदरूनी दस्तावेज साफतौर पर कहता है कि पीएम मोदी ने कहा था कि इस प्रतिपूर्ति यानी कंपनशेसन के बिना यह सौदा नहीं होगा।'

तथ्यः 10 अक्टूबर को फ्रांसीसी मीडिया में रिपोर्ट आने के बाद राफेल के निर्माता दसॉल्ट एविएशन ने मीडिया पार्ट की स्टोरी का खंडन किया। दरअसल, दसॉल्ट के डेप्यूटी सीईओ ने फ्रेंच भाषा में जो बयान दिया कांग्रेस उसके अंग्रेजी अनुवाद के आधार पर दावा कर रही है। हालांकि इसमें अपने हित के अनुसार व्याख्या की संभावना बनती है। दसॉल्ट के डेप्यूटी सीईओ ने कहा था कि ऑफसेट की  बाध्यता को पूरा करने के लिए संयुक्त उपक्रम कंपनी बनाना आवश्यक था। वहीं इस बयान को तोड़मरोड़ कर पेश करते हुए दावा किया गया कि वह कह रहे थे कि ऑफसेट की बाध्यता को पूरा करने के लिए अंबानी के साथ संयुक्त उपक्रम बनाना जरूरी था। 

3. राहुल गांधी का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे की प्रक्रिया का ब्यौरा मांगा है। राहुल ने ट्वीट किया कि सरकार प्रधानमंत्री मोदी के राफेल विमान खरीदने के फैसले को सही साबित करने की प्रक्रिया साबित करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने बृहस्पतिवार को अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल की निर्णय प्रक्रिया का ब्यौरा मांगा है। सरकार इसी को कवरअप करने का प्रयास कर रही है। राहुल ने कहा कि सरकार ने तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया और सौदे की घोषणा से पहले सीसीएस की अनुमति नहीं ली।

तथ्यः  सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे में सरकार द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया का ब्यौरा मांगा है। जहां तक प्रक्रिया का सवाल है, प्रधानमंत्री को किसी सौदे को करने की इच्छा जताने के लिए पैनल अथवा कमेटी की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। सौदे की घोषणा के बाद रक्षा मंत्रालय, डिफेंस फाइनेंस विंग और सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की मंजूरी सभी उचित चरणों के दौरान ली गई।