भारतीय रेल की सभी लाइनों पर अगर बिजली से चलने वाली ट्रेनें चलने लगेंगी तो रेलवे को हर साल 13500 करोड़ का अतिरिक्त मुनाफा होगा। यही नहीं इस काम के बाद रेल ट्रैफिक भी बढ़ सकता है।
  
यह जानकारी तमिलनाडु में 100 साल से भी पुराने पामबन ब्रिज का निरीक्षण करने पहुंचे रेलवे बोर्ड सदस्य ने दी। रेलवे इस लाइन पर विद्युतीकरण कर रही है, ताकि यह देश की अन्‍य रेलवे लाइनों से भी जुड़ सके। 

इस दौरान जानकारी दी गई कि रेलवे की कोशिश सिर्फ लाइनों का विद्युतीकरण करना नहीं है, बल्कि ऊर्जा के स्‍थानीय स्रोतों द्वारा ट्रेनों का परिचालन करने की है। रेल बोर्ड सदस्य घनश्याम सिंह पामबन रेलवे ब्रिज का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे थे।

100 साल से भी पुराना तमिलनाडु का यह पुल रामेश्वरम से पामबन द्वीप को जोड़ता है। उन्‍होंने बताया, 'भारत सरकार का मिशन भारतीय रेलवे की सभी ब्रॉड गेज रेलवे लाइनों का विद्युतीकरण करना है। 

इस दौरान पामबन द्वीप को तमिलनाडु से जोड़ने वाली लाइन का विद्युतीकरण भी शामिल है। इस अभियान का उद्देश्‍य लोगों को कम कीमत पर ग्रीन ट्रांसपोर्ट सिस्‍टम उपलब्‍ध कराना है। इसके तहत स्‍थानीय ऊर्जा के स्रोतों का उपयोग किया जाएगा। साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों जैसे, पवन सोलर और हाइड्रो पावर को भी बढ़ावा देना है।'

तमिलनाडु का यह पुल रामेश्वरम से पामबन द्वीप को जोड़ता है। मुंबई ब्रांदा कुर्ला पुल से पहले पामबन ब्रिज इंडिया का सबसे लंबा सी ब्रिज हुआ करता था। तमिलनाडु में बना यह पुल समुद्र के ऊपर बना हुआ है। यहां से समुद्र का बहुत सुंदर नजारा दिखता है। इस पुल को उच्च तीव्रता वाला भूंकप भी नहीं हिला सकता। 

पामबन पुल को ब्रिटिश रेलवे द्वारा 1885 में शुरू किया गया था। ब्रिटिश इंजीनियरों की टीम के निर्देशन में गुजरात के कच्छ से आए कारीगरों की मदद से इसे खड़ा किया गया था और 1914 में ये बनकर पूरा हुआ था। 

फरवरी 2016 में इसने 102 साल पूरा कर लिया। इतना पुराना होने के बावजूद भी यह रेल पुल आज भी बिल्कुल अच्छी हालत में है।