नई दिल्ली। संसद के मॉनसून सत्र के लिए सरकार सभी विकल्पों पर सरकार विचार कर रही है। कोरोना संकट के बीच सरकार के लिए संसद का मॉनसून सत्र चलाना जरूरी है। क्योंकि सरकार को इसमें कई विधेयक पेश कर ने हैं। लिहाजा सरकार कई विकल्पों पर विचार कर रही है। वहीं राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस पर बैठक की है। वहीं जानकारों का कहना है कि वर्चुअल संसद भी एक विकल्प हो सकती है।

फिलहाल देश में कोरोना संक्रमण का कहर बरपा है। रोजाना हजारों की संख्या में नए मामले आ रहे हैं। लिहाजा इसका असर संसद पर भी देखा जा रहा है। पिछले दिनों एक संसद के निजी सचिव को कोरोना संक्रमण होने के बाद निजी सचिवों के संसद में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। लेकिन अब संसद के मॉनसून सत्र को कराने के लिए सरकार कई विकल्पों पर विचार कर रही है। इस पर राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला विचार विमर्श किया। ताकि संसद का मॉनसून सत्र आसानी से चल सके।

माना जा रहा है कि सरकार द्वारा तय सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के तहत अगर मॉनसून सत्र चलता है तो महज 60 सदस्य ही संसद में बैठ सकेंगे। जबकि राज्यसभा में 245 सदस्यों के बैठने की जगह है और अगर दूर दूर सांसद बैठते हैं तो महज 60 सांसद ही राज्य सभा में बैठ सकेंगे। जबकि लोकसभा में इसी नियमों के तहत सेंट्रल हॉल में 100 सांसद ही बैठ सकेंगे। वहीं संसद के दोनों पीठासीन अधिकारियों ने दोनों सदनों के महासचिवों को निर्देश दिया कि मॉनसून सत्र के लिए वर्चुअल पार्लियामेंट के विकल्पों पर भी विचार किया जाए। अगर ऐसा होता तो संसद के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा।

विज्ञान भवन हो सकता है विकल्प

हालांकि सत्र के लिए विज्ञान भवन भी एक विकल्प हो सकता है और इस पर दोनों पीठासीन अधिकारियों ने बातचीत की। लेकिन यहां पर भी सभी सांसदों का एकसाथ बैठना संभव नहीं है। वहीं विज्ञान भवन में पूरे दिन एसी चलाने और अनुवाद की सुविधा भी नहीं है। लेकिन इसे विकल्प के तौर पर रखा गया है।