हैदराबाद। हैदराबाद के एक पिता ने हिंदू बहुल स्कूल में 4th क्लास के एक मुस्लिम छात्र के साथ हुए कथित बहिष्कार के प्रकरण को सोशल मीडिया लिंक्डइन पर शेयर किया है। जिससे हड़कंप मच गया है। अजमल मोहिउद्दीन नामक शख्स ने लिखा कि उसका छोटा बेटा बंजारा हिल्स स्कूल में पढ़ता है। उसके कुछ सहपाठियों ने एक बच्चे के जन्मदिन पर कैडबरी चॉकलेट लेने से इनकार कर दिया। बच्चों ने संदेह जताया कि वह 'हलाल' चाकलेट थी।

छात्र के पिता ने सोशल मीडिया पर शेयर की घटना 
मुस्लिम छात्र के पिता ने धार्मिक पूर्वाग्रह अपनाने का आरोप लगाया है। बच्चे के पिता अजमल मोहिउद्दीन ने कहा कि उनके बेटे के मुस्लिम दोस्त को उसके जन्मदिन पर चॉकलेट देते समय उसके हिंदू सहपाठियों से अस्वीकृति का सामना करना पड़ा। बच्चों ने कैडबरीज़ चाकलेट के हलाल-प्रमाणित होने के कारण खाने से इनकार कर दिया।

Birthday boy को मिली सभी चाकलेट मुस्लिम बच्चे को दे दी गई
बच्चे के माता-पिता पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। उन्होंने एक लिंक्डइन पोस्ट में बताया कि यह घटना आईसीएसई-संबद्ध स्कूल में हुई। एक दिन बेटा स्कूल से जब घर आया तो उसने बताया कि आज उसने 6 चॉकलेट खाईं। हमने उससे पूछा कि उसे इतनी चॉकलेट किसने दीं तो उसने बताया कि उसके एक सहपाठी का जन्मदिन था। जिसमें उसे 4 अतिरिक्त चॉकलेट मिलीं। क्योंकि उसके तीन-चार दोस्तों ने चॉकलेट लेने से मना कर दिया था। माता पिता ने जब उसके दोस्तों का नाम पूछा तो उनमें से एक मुस्लिम निकला और बाकी दोस्त मारवाड़ी निकले। जिन्होंने चाकलेट लेने से इनकार किया था।

क्या होता है 'हलाल' का मतलब
मोहिउद्दीन ने लिखा कि बच्चे ने बताया कि उन लड़कों ने कैडबरी चाकलेट लेने से यह कहते हुए इनकार कर दिए कि वह हलाल चाकलेट है। हलाल का अरबी में अर्थ अनुमेय या वध होता है। इसका उपयोग उस भोजन का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो इस्लाम के आहार कानूनों के साथ उत्पादित या संसाधित होता है। पैकेजिंग पर हलाल प्रमाणीकरण इंगित करता है कि वध की इस्लामी पद्धति ढाबीहा (वध) का पालन किया गया है।

बच्चे के माता- पिता ने जताई नाराजगी
 मोहिउद्दीन ने लिखा कि "तब मुझे एहसास हुआ कि उन बच्चों ने एक लड़के से चॉकलेट लेने से सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि वह एक मुस्लिम था। उन्हें घर पर कहा गया था कि किसी मुस्लिम द्वारा दी गई कोई भी चीज़ न खाएं। पिता ने दावा किया कि उन्होंने बेटे के ईसाई क्लास टीचर से संदेह की पुष्टि की। उन्होंने निष्कर्ष में लिखा, ऐसे युवा दिमागों में ऐसी शिक्षा है। "हमने कभी इसकी परवाह नहीं की कि हमारे सहपाठी हिंदू थे या मुस्लिम या ईसाई। आश्चर्य है कि हम कहाँ जा रहे हैं।"

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