नई दिल्ली: बेंगलुरु से दुबई भागे मंसूर खान को प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। वह एक महीने से फरार था। उसने कल एक वीडियो साझा किया था। जिसमें उसने कहा था कि वह 24 घंटों में भारत आ जाएगा। 

कैसे आया शिकंजे में मंसूर खान
मंसूर खान ने गुरुवार को एक वीडियो जारी भारत लौटने की बात कबूल की थी। मंसूर खान ने कहा था कि मैं अगले 24 घंटे में भारत लौटूंगा, मुझे भारतीय न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।  भारत छोड़ना उसकी सबसे बड़ी गलती थी लेकिन हालात ऐसे बन गए थे कि देश छोड़कर जाना पड़ा। 

लेकिन खास बात यह रही कि मंसूर खान ने इस वीडियो में यह भी कहा कि 'मैं ये भी नहीं जानता कि मेरा परिवार कहा है? उसने देश वापस आने के बाद सबसे पहले बेंगलुरु में अपने परिवार से मिलने की इच्छा जाहिर की थी। जिससे यह लगता है कि उसे अपनी परिवार की सुरक्षा की चिंता थी। जिसकी वजह से वह दिल्ली लौटकर जांच एजेन्सियों को सहयोग देने के लिए राजी हुआ है। 

 फिलहाल वह ईडी की हिरासत में है। मंसूर खान से दिल्ली में पूछताछ की जा रही है। 

कर्नाटक एसआईटी को भी है मंसूर खान की तलाश 
मंसूर खान के दिल्ली आने के बाद एसआईटी अधिकारी मोहम्मद ने मीडिया को जानकारी दी है कि 'मंसूर खान को एयर इंडिया की उड़ान संख्या 916 से दुबई से यहां आने के बाद नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर देर रात करीब 2 बजे हिरासत में ले लिया गया। उसे जल्द ही हमारे अधिकारियों द्वारा बेंगलुरु लाया जाएगा उसने गुरुवार को एक वीडियो साझा किया था, जिसमें उसने दावा किया था कि वह 24 घंटों में भारत वापस आएगा'। उसके खिलाफ ईडी के साथ-साथ एसआईटी ने भी लुक आउट सर्कुलर जारी किया था।

मंसूर खान की फर्म के खिलाफ 30 हजार से ज्यादा शिकायतें दर्ज की गई थीं और कई पीड़ितों ने बेंगलूरु के फ्रीडम पार्क में प्रदर्शन भी किया था। जिसके बाद सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी के गठन का ऐलान किया था।  

कई बड़े नामों का खुलासा कर सकता है मंसूर
मंसूर खान ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पूछताछ में कुछ बड़े लोगों के नाम लिए हैं। वह महीने भर पहले जून में हजारों निवेशकों को परेशानी में छोड़कर भारत से भाग गया था। उसने आत्महत्या करने की धमकी देते हुए एक ऑडियो क्लिप बनाया था। जिसमें मंसूर ने अधिकारियों को 400 करोड़ रुपए की रिश्वत देने की बात कही थी। 

इस घोटाले में कांग्रेस विधायक रोशन बेग की भागीदारी की बात भी सामने आ रही है। जिन्होंने शुरुआत में इन आरोपों का खंडन किया। लेकिन बाद में कर्नाटक एसआईटी ने रोशन बेग को गिरफ्तार कर लिया है। 

मंसूर ने एक वीडियो रिलीज करके बेंगलूरु के पुलिस कमिश्नर  को कहा था कि वह भारत वापस आकर उन लोगों को बेनकाब करना चाहता है जिन्होंने उसके बिजनेस वेंचर को डाउन कराया।  23 जून को जारी किए गए वीडियो में खान ने दावा किया था कि ठगी के पीछे 'असली अपराधियों' में 'राज्य और केंद्रीय स्तरों पर बड़े नाम' शामिल थे। मंसूर के इस दावे के जवाब में बेंगलूरु पुलिस ने कहा था कि अगर वो शहर में वापस आता है तो पुलिस उनकी सुरक्षा की गारंटी लेगी।'

लेकिन मंसूर के इन बयानों से साफ पता चलता है कि इस घोटाले की जड़ें बेहद गहरी हैं। 

13 साल से चल रहा है ठगी का सिलसिला 
मोहम्मद मंसूर खान  ने 2006 में आईएमए के नाम से कंपनी खोली थी। अनुमान है कि अप्रैल 2019 में मंसूर का आईएमए ग्रुप 2000 करोड़ का हो गया। 7 जून, 2019 के बाद अचानक ही कंपनी के हालात खस्ता हो गए और मंसूर खान विदेश फरार हो गया। 

मंसूर खान पर इस्लामिक बैंक के नाम पर करीब 30 हजार मुस्लिम निवेशकों को ठगने का आरोप है। उस पर आरोप है कि वह करीब 2000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर दुबई भाग गया था। आईएमए ने अपनी स्कीम में 14 से 18 फीसदी के भारी रिटर्न का लालच देकर हजारों निवेशक को धोखा दिया था जिसके बाद करीब 25 हजार लोगों ने धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने आईएमए जयनगर के दफ्तर में और मंसूर खान के घर में छापा मारा था. जिसमें करोड़ों रुपये की ज्वैलरी और दस्तावेज जब्त किए थे।

धोखाधड़ी के इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने मंसूर खान के खिलाफ जून में तीसरा समन जारी किया था। इसके तहत मंसूर खान को 3 जुलाई को ईडी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था। 

बेहद शातिर तरीके से मुस्लिम निवेशकों में विश्वास जगाता था मंसूर खान 
मंसूर ने कंपनी को इस्लामिक कानून के मुताबिक हलाल इनवेस्टमेंट के मोड में रखा। हलाल निवेश के लिए उसने शुरुआत में कई मौलानाओं से संपर्क किया और उनके जरिए धनी मुस्लिम परिवारों तक पहुंचा। वो रीबा देने की शर्त पर निवेश करवाता चला गया।
मंसूर खान ने निवेशकों को बताया कि यह संस्था बुलियन में निवेश करेगी और निवेशकों को 7-8 प्रतिशत रिटर्न देगी। चूंकि इस्लाम में ब्याज से मिली रकम को अनैतिक(हराम) माना जाता है। इसलिए मंसूर ने इस्लामी परंपराओं की आड़ लेते हुए निवेशकों को 'बिजनस पार्टनर' का दर्जा दिया और भरोसा दिलाया कि 50 हजार के निवेश पर उन्हें तिमाही, छमाही या सालाना अवधि के अंतर्गत 'रिटर्न' दिया जाएगा। इस तरह वह मुसलमानों के बीच 'ब्याज हराम है' के अंधविश्वास का हल निकाल लिया था।  

यही नहीं मुसलमानों में पैंठ बनाने के लिए मंसूर खान ने स्थानीय मौलवियों और मुस्लिम नेताओं को साथ लिया। वह और उसके कर्मचारी हमेशा साधारण कपड़ों में दिखते, लंबी दाढ़ी रखते और ऑफिस में ही नमाज पढ़ते। वह नियमित तौर पर मदरसों और मस्जिदों में दान दिया करता था। निवेश करने वाले हर मुस्लिम शख्स को कुरान भेंट की जाती। 

अपनी इन सभी मजहबी पैंतरों से  मंसूर खान ने मुस्लिम निवेशकों का भरोसा जीत लिया और उनके हजारों करोड़ लेकर फरार हो गया। लेकिन वह भूल गया था कि देश में अब नरेन्द्र मोदी की मजबूत सरकार है। जब मामला खुला तो केन्द्रीय एजेन्सियों ने केस अपने हाथों में लेकर मंसूर खान पर ऐसा दबाव बनाया कि वह भारत लौटने के लिए विवश हो गया। अब उससे पूछताछ में कई बड़े नामों का खुलासा होना बाकी है।