नई दिल्ली। पाकिस्तान में नए पाकिस्तान के वादे के साथ सत्ता पर काबिज हुए इमरान खान को  पाकिस्तान की सेना कभी भी झटका दे सकती है। पाकिस्तान कोरोना संकट और खराब होते आर्थिक संकट के बीच इमरान खान की लोकप्रियता कम हो रही है जबकि सेना की जनता में पकड़ मजबूत होती जा रही है।

असल में ये साफ है कि इमरान खान की सत्ता पाकिस्तान में तभी तक है जब तक सेना का आर्शीवाद उनके ऊपर है।  वहीं अब पाकिस्तान से जो खबरें आ रही हैं। उसके मुताबिक वहां की सत्ता पर सेना की पकड़ मजबूत हो रही है और इमरान खान कमजोर रहे हैं।  इसके कई बार सबूत मिल चुके हैं। लेकिन अब कोरोना संकट और पाकिस्तान के खराब होते  आर्थिक हालत के बीच इमरान खान और कमजोर रहे हैं। पाकिस्तान में कोरोना संक्रमण के शुरूआत में इमरान खान ने पाकिस्तान में लॉकडाउन को लागू करने से मना कर दिया था।

इमरान खान को डर था कि इसके कारण देश की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। लेकिन सेना ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर कोरोना लॉकडाउन को लागू कर दिया।  इसके बाद इमरान खान की जमकर किरकिरी हुई थी।  वहीं अब पाकिस्तान में कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए इमरान खान सरकार को जिम्मेदार बताया जा रहा है। पाकिस्तान में कोरोना संक्रमितों की संख्या एक लाख के पार हो गई है।
 
फेल हुआ नए पाकिस्तान का वादा

पाकिस्तान आर्थिक तौर कमजोर हो गया है और पाकिस्तानी सरकार अंतरराष्ट्रीय कर्ज देने वाली  एजेंसियों के सामने हाथ फैला रहा है। वहीं अभी भी पाकिस्तान पर एफएटीएफ की तलवार लटकी हुई है। हालांकि कोरोना संकट के बीच पाकिस्तान को थोड़ी राहत मिली हुई है। लेकिन अगर पाकिस्तान को आईएमएफ ने कर्ज नहीं मिला तो वह कंगाल हो सकता है।  वहीं पाकिस्तान को चीन कर्ज दे रहा है और उसके बदले अपनी शर्तों को पाकिस्तान में लागू कर रहा है। जिसका सीधा नुकसान पाकिस्तान के उद्योग को उठाने पड़ रहे हैं। लिहाजा जनता का कहना है कि नए पाकिस्तान का वादा फेल हो चुका है।

सेना कर रही है फैसले

पाकिस्तान में अब ज्यादातर मामले सेना कर रही है। सेना के बड़े अफसर पाकिस्तान में अहम पदों पर सेना ने बैठा दिए हैं। जिससे साफ है कि प्रशासन में इमरान खान की पकड़ कमजोर हो रही है। आम नागरिकों के लिए सेना नीति तैयार कर रही है। वहीं सत्ता पर भी सेना की मजबूत पकड़ हुई है।  जो इमरान सरकार के लिए खतरे की घंटी है। वहीं सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने विदेश और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में और ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। पिछले दिनों ही बाजवा उद्योग जगत के साथ बैठक की थी जबकि इस बैठक में इमरान खान नदारद थे।