नई दिल्ली--अगस्ता वेस्टलैंड मामले में गिरफ्तार कथित बिचौलिए क्रिश्चयन मिशेल की जमानत याचिका को पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने मिशेल को 7 दिन की रिमांड पर भेज दिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने रिमांड याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि मिशेल ने दिल्ली में हजारों करोड़ की प्रॉपर्टी खरीदी है। जिसमे कुछ प्रॉपर्टी के पैसे हवाला के जरिये दिए गए है। उसकी पड़ताल करनी है।

ईडी ने कोर्ट से कहा था कि हम दोनों अलग-अलग एजेंसियां है ऐसे में एक साथ इन्वेस्टिगेशन और पूछताछ कैसे संभव है। क्रिश्चियन मिशेल की तरफ से कभी भी ऐसा नहीं कहा गया कि हम उनके साथ बुरा बर्ताव कर रहे हैं। मिशेल के वकील रोज उनसे मिल भी रहे हैं। ऐसे में मिशेल की वकील की तरफ से यह कहा जाना की हम मिशेल को परेशान कर रहे हैं यह गलत है।

ईडी ने यह भी कहा था की विभिन्न माध्यम से पैसे भेजे गए हैं हम इसकी तह तक जाएगें। कई माध्यमों से पैसे भेजे गए हैं और लिए गए हैं। हवाला के माध्यम से भी मिशेल ने पैसे भेजे हैं। हमें यह पता लगाना है कि वास्तव में किसने पैसे भेजे हैं और किसके पास यह पैसे गए हैं।

वही मिशेल के वकील ने रिमांड का विरोध करते हुए कहा कि सीबीआई पहले ही इस केस में 15 दिन तक पूछताछ कर चुकी है, लिहाजा प्रवर्तन निदेशालय की रिमांड याचिका को खारिज किया जाए। हालांकि कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दायर रिमांड अर्जी पर सुनवाई से पहले ईडी के अधिकारियों को 15 मिनट तक पूछताछ की अनुमति दी थी,  लेकिन ईडी के तीन अधिकारी विभिन्न दस्तावेजों के विषय में क्रिश्चियन मिशेल से कोर्ट रूम के अंदर करीब 25 मिनट तक पूछताछ करते रहे।

वही दूसरी ओर मिशेल की उस अर्जी का कोर्ट ने निपटारा कर दिया जिसमें स्पेशल सेल में अलग से रखने की मांग की गई है। अर्जी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मिशेल से पूछा कि आपको जेल में कोई परेशानी नही है, तो कहा कि नही अब जेल में अलग सेल में रखा गया है। अब कोई दिक्कत नही है जिसके बाद कोर्ट ने जेल अधिकारी को मिशेल की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।

बता दें कि अगस्ता वेस्टलैंड केस में सीबीआई ने क्रिश्चन मिशेल की जमानत याचिका का एक बार फिर विरोध किया। सीबीआई ने कहा कि यदि मिशेल को जमानत मिल जाती है तो इससे इन्वेस्टिगेशन प्रभावित होगा। इसलिए मिशेल को जमानत नहीं दी जानी चाहिए। पिछले दिनों जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान मिशेल के वकील कहा था कि वह 15 दिन की सीबीआई हिरासत के दौरान जांच में सहयोग कर रहा था।

सीबीआई उन्हीं तथ्यों और उन्हीं आरोपों पर केस को आगे बढ़ा रही है जिनमें इटली की कोर्ट आरोप मुक्त कर चुका है। मिशेल ने कोर्ट से इस आधार पर नरमी बरतने का अनुरोध किया है कि वह डिस्लेक्सिया से पीड़ित है। जिसका सीबीआई के वकील ने जमानत का विरोध किया। कहा आरोपी बेहद प्रभावशाली है, उसके संबंध मंत्रालय के लोगों, नौकरशाहों और नेताओं से है, इनमें में कई मामले में गवाह है। हम उसे बहुत मुश्किल से भारत लेकर आए है कुछ नए तथ्य सामने आये हैं और हमें उन पर काम करने की जरूरत है।

सीबीआई के वकील ने यह भी कहा कि वह सहयोगात्मक रवैया वाला गवाह नहीं है। मिशेल से बहुत से तथ्यों को निकालना है। उसका भारत से कोई लेना देना नही है। उसके पास संपत्ति है लेकिन उसे बेचकर वह दूर जा सकता है। दूसरी ओर क्रिश्चियन मिशेल ने कोर्ट में अर्जी दायर कर तिहाड़ जेल में अलग कमरे में रखे जाने का अनुरोध किया था। मिशेल ने अर्जी में कोर्ट से कहा था कि उन्हें दूसरे कैदी परेशान करते हैं और डील से संबंधित सवाल पूछते हैं लिहाजा, उन्हें अलग से सेल दिया जाए।

भारतीय अधिकारियों ने सितंबर 2015 में मिशेल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया और उसके खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। अन्य दो आरोपी गुइदो हास्के और कार्लो गेरोसां हैं।

गौरतलब है कि ईडी के दस्तावेज के मुताबिक मिशेल को 12 हेलीकॉप्टर के समझौते को अपने पक्ष में कराने के लिए 225 करोड़ दिए गए। आरोप है कि यूपीए सरकार के दौरान 2010 में हुए इस डील का करार पाने के लिए ऐंग्लो-इटैलियन कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड ने भारतीय राजनेताओं, रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों, नौकरशाहों समेत वायुसेना के दूसरे अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए मिशेल को करीब 350 करोड़ रुपये दिए। इस सौदे में 2013 में घूसखोरी की बात सामने आने पर तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटोनी ने न केवल सौदा रद्द किया बल्कि सीबीआई जांच के आदेश भी दिए।