मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों प्रतिष्ठा की सीट बन गयी है। पूरे राज्य में ये ही एकमात्र सीट हैं, जहां दोनों दलों के बीच धर्म की लड़ाई शुरू हो गयी है। बीजेपी ने यहां से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को उतारा है तो कांग्रेस के दिग्विजय सिंह अपनी धार्मिक और हिंदू छवि बनाकर चुनाव मैदान में हैं। भोपाल में 12 मई को मतदान होगा।

अगर देखें पिछले एक महीने के भीतर ही साध्वी प्रज्ञा ठाकुर राज्य ही नहीं बल्कि देश में हिंदुत्व का एक बड़ा चेहरा बनकर उभरी हैं। बीजेपी उनकी इस छवि को भी भुना रही है। लेकिन साध्वी की इस छवि के कारण कांग्रेस के प्रत्याशी दिग्विजय सिंह यानी दिग्गी राजा की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। आमतौर पर मुस्लिमों का पक्ष लेने वाले दिग्गी राजा अब मंदिरों के चक्कर लगा रहा है। यहां तक पार्टी की रणनीति के तरह उनकी चुनावी सभाओं में टोपी लगाए मुस्लिम नजर नहीं आते हैं। वह मंदिरों के दर्शन तो कर रहे हैं लेकिन दरगाहों और मस्जिदों से उन्होंने दूरी बनाकर रखी है।

दिग्विजय सिंह को प्रज्ञा ठाकुर की तरफ से मिल रही चुनौतियों को इसी बात से समझा जा सकता है कि दिग्गी राजा साधु संतों से तंत्र मंत्र करा रहे हैं और मंदिरों के दर्शन कर जीतने का आर्शीवाद रहे हैं। हालांकि इस मामले में प्रज्ञा भी दिग्गी राजा से पीछे नहीं है। पिछले दिनों जब चुनाव आयोग ने उनके चुनाव प्रचार पर रोक लगाई थी, तब उन्होंने अपना समय मंदिर में पूजा अर्चना में ही गुजारा।

लिहाजा साध्वी प्रज्ञा को चुनाव प्रचार से ज्यादा प्रचार इससे मिला। जिसके कारण दिग्गी राजा राज्य मंदिरों के दर्शन करने के लिए मजबूर हो गये। फिलहाल बीजेपी दिग्विजय सिंह को 'हिंदू विरोधी' बताने में पीछे नहीं है। लिहाजा दिग्विजय को अपनी चुनावी रैलियों में इसको लेकर सफाई देनी पड़ रही है। हालात ये हैं कि हिंदू आतंकवाद की थ्योरी गढ़ने वाले दिग्विजय अब खुद को 'हिंदू समर्थक' बता रहे हैं।

बीजेपी का प्रचार नेता ही नहीं बल्कि साधु-संतों भी कर रहे हैं। जबकि दिग्विजय सिंह के समर्थन में कंप्यूटर बाबा साधु-संतों भोपाल में सक्रिय हैं। भोपाल में अब आम समस्याओं पर कोई बात नहीं कर रहा है। यहां पर सिर्फ भगवा और हिंदुत्व पर भी चर्चा हो रही है। जाहिर है अभी तक इस मामले में साध्वी दिग्विजय से काफी आगे है। 

क्या है मतदाताओं की गणित

भोपाल लोकसभा सीट में करीब 19.5 लाख मतदाता हैं। इसमें करीब 4 लाख मुस्लिम हैं। हालांकि यहां पर मुस्लिम भी कई गुटों में विभाजित हैं। यहां पर बोहरा और शिया मुस्लिमों की है। जो आमतौर पर बीजेपी का समर्थक माना जाता है। वहीं इसके अलावा 3.5 लाख ब्राह्मण, 4.5 लाख पिछड़ा वर्ग, 2 लाख कायस्थ और 1.25 लाख क्षत्रिय हैं।