भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही तनातनी पर अमेरिका ने साफ कर दिया है कि कश्मीर मसला भारत और पाकिस्तान का मामला है और इसका समाधान भी द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही दोनों देश निकाले। इसमें किसी भी तीसरे देश के लिए मध्यस्थता करने की कोई गुंजाइश नहीं है।
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर कूटनीति फ्लॉप हो गई। अमेरिका ने पाकिस्तान को इशारों इशारों में नसीहत दे दी है। कश्मीर समस्या पर बातचीत भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय होनी चाहिए। यानी अमेरिका ने साफ कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी तीसरे देश को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता है। वहीं अमेरिका से कोई मदद न मिलने के बाद अब पाकिस्तान चीन के दरवाजे पर मदद मांगने पहुंच गया है।
भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही तनातनी पर अमेरिका ने साफ कर दिया है कि कश्मीर मसला भारत और पाकिस्तान का मामला है और इसका समाधान भी द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही दोनों देश निकाले। इसमें किसी भी तीसरे देश के लिए मध्यस्थता करने की कोई गुंजाइश नहीं है।
असल में पाकिस्तान चाहता है कि अमेरिका कश्मीर के मसले पर दखल दे। लेकिन अमेरिका ने साफ कर दिया है कि कश्मीर समस्या का समाधान भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से होनी चाहिए।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद पाकिस्तान इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अभी तक उसके कहीं से भी मदद नहीं मिली है। अमेरिका से पहले चीन ने कश्मीर के मुद्दे को भारत और पाकिस्तान का मामला बताते हुए अपने हाथ इससे पीछे खींच लिए थे।
लिहाजा इस मामले में चीन की मदद मांगने के लिए इमरान खान एक बार फिर चीन के दरवाजे पर पहुंच गई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी चीन के दौरे पर चले गए हैं। वह वहां इस कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने के लिए चीन से मदद मांगेगा।
अभी तक किसी भी देश ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ नहीं दिया है। कुल मिलाकर अब पाकिस्तान को चीन से ही मदद की उम्मीद है। असल में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री का ये पहला दौरा है। पाकिस्तान को लगता है कि लद्दाख का मुद्दा उठाकर वह चीन को अपने पाले में ला सकता है।
Last Updated Aug 9, 2019, 12:43 PM IST