जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों और अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला जारी है। राज्य में अब तक 22 हुर्रियत नेताओं समेत 919 लोगों को मिली सुरक्षा वापस ली गई है। इन लोगों के साथ लगे करीब 400 वाहनों को भी हटाया गया है।

राज्य में 20 जून, 2018 को राज्यपाल शासन लगा था। तभी से ऐसे सभी लोगों को दी गई पुलिस सुरक्षा छीनी जा रही है, जिन्हें इसकी जरूरत नहीं है। 
 
इन लोगों से सुरक्षा वापस लिए जाने से कुल 2,768 पुलिस कर्मियों को इस काम से मुक्त किया गया है। खास बात यह है कि पुलिस सुरक्षा के साथ-साथ 389 पुलिस वाहन भी इन लोगों के साथ लगे हुए थे। अब सभी को पुलिस के दैनिक कार्यों में इस्तेमाल किया जाएगा।  

केंद्रीय गृहमंत्रालय के सूत्रों ने ‘माय नेशन’ को बताया कि ऐसा देखा गया कि बड़ी संख्या में ‘अयोग्य’ लोगों को सुरक्षा मिली हुई थी। इन लोगों की सुरक्षा में बड़ी संख्या मे जवानों की तैनाती से पहले से ही पुलिसकर्मियों की कमी से जूझ रहे बल को अपने नियमित कार्यों में दिक्कत हो रही थी। 

पुलिस संसाधनों के बेजा इस्तेमाल को देखते हुए मंत्रालय ने राज्य प्रशासन को इन लोगों की सुरक्षा वापस लेने का आदेश दिया था। 

पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने घाटी में अलगाववादियों र आतंकियों से सहानुभूति रखने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की है। जहां एक ओर ईडी और आयकर विभाग ने कई जगह छापा मारकर सैयद अली शाह गिलानी और शब्बीर शाह जैसे अलगाववादी नेताओं से जुड़ी संपत्तियां जब्त की हैं वहीं हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्य में चल रहे हवाला के कारोबार का भी खुलासा किया है। 

इसके साथ ही केंद्र ने कश्मीर घाटी में आतंकी फंडिंग के नेटवर्क को तोड़ने के लए एनआईए, सीबीआई और सीबीडीटी के प्रतिनिधियों समेत आठ सदस्यों वाली एलीट टीम गठित की है।