नई दिल्ली। महाराष्ट्र में बदले सियासी समीकरणों को लेकर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी सदमे में है। किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि ये सब कैसे हो गया। आज जिस शिवसेना को राज्य में सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के पास जाना था। वह अब विपक्ष में ही रह गई है और भाजपा ने राज्य में सरकार बना दी है। इस पूरे राजनैतिक घटनाक्रम में सबसे बड़ा झटका शिवसेना के साथ ही एनसीपी के प्रमुख शरद पवार को लगा है। क्योंकि कल रात को ही शरद पवार ने ऐलान किया था कि राज्य में उद्धव ठाकरे नए सीएम होंगे।

महाराष्ट्र में भाजपा की चाल से शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी हैरान हैं। इस राजनीति का तोड़ कैसे निकाला जाए। इसका सूत्र और मंत्र किसी के पास नहीं है। हर कोई इस घटनाक्रम को लेकर सकते हैं। शिवसेना को आज उम्मीद थी कि वह राज्य में सरकार बनाएगी और पहली बार राज्य में ठाकरे परिवार का नेता सीएम बनेगा। वहीं शिवसेना अपने राजनैतिक अस्तित्व के लिए विरोधी दलों के साथ हाथ मिला रही थी।

इसके लिए शिवसेना ने अपने तीस साल के गठबंधन को भाजपा के साथ तोड़ा था। अजीत पवार राज्य में एनसीपी के संसदीय दल के नेता हैं। लिहाजा उनके समर्थन काफी अहम हो जाता है।हालांकि शरद पवार ने साफ किया है कि सरकार बनाने का फैसला अजित पवार है पार्टी का नहीं है। अजित पवार पार्टी में शरद पवार के बाद सबसे मजबूत माने जाते हैं। जबकि शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले को राज्य में स्थापित कर रहे हैं।

फिलहाल आज सुबह देवेंद्र फडणवीस ने दोबारा मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली है जबकि एनसीपी नेता अजीत पवार को राज्यपाल ने डेप्‍युटी सीएम की शपथ दिलाई। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि अजीत पवार के साथ एनसीपी के कितने विधायकों ने पार्टी से बगावत की है। लेकिन ये माना जा रहा है कि राज्य में भाजपा सरकार बनाने के लिए 22 विधायकों की जरूरत बता रही थी। भाजपा के दावा है कि उसके 105 विधायकों के साथ ही 19 निदर्लीय विधायकों ने उसे समर्थन दिया है। गौरतबल है कि राज्य में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का आंकड़ा चाहिए।