नई दिल्ली। पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के लिए किसी नरक से कम नहीं हैं। पाकिस्तान में रोजना अल्पसंख्यकों खासतौर से हिंदुओं के उत्पीड़न की खबरें आती रहती हैं। कभी हिंदू लड़कियों का अपहरण कर उनका जबरन निकाह कराया जाता है तो कभी हिंदूओं की दुकानों और जमीन पर कट्टरपंथी कब्जा कर लेते हैं। लिहाजा पाकिस्तान में हिंदूओं की दुर्दशा और उत्पीड़न के विरोध में जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय मानवाधिकार समर्थकों ने प्रदर्शन किया। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का 44वां सत्र चल रहा था और इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने इमरान खान सरकार पर जमकर आरोप लगाया और कहा कि पाकिस्तान की इमरान खान  सरकार इस्लामिक कट्टरपंथियों को समर्थन देती है। 

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पाकिस्तान में हिंदुओं को बड़े पैमाने शोषण किया जा रहा है और उनका उत्पीड़न हो रहा है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों से भेदभाव किया जा रहा है। उन्हें धार्मिक आधार प्रताड़ित किया जाता है और उनके खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ती ही जा रही है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों खासतौर से हिंदु लड़कियों और महिलाओं का अपहरण किया जाता है और उन पर हमले किए जाते हैं। यही नहीं यौन अपराध और हत्याएं आम बात है।

वहीं पाकिस्तान सरकार की सरपस्ती में हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाकर उन्हें धर्मपरिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा है। पाकिस्तानी सांसद और नेता खुलेआम हिंदुओं के खिलाफ नफरत भरे संदेश जारी करते हैं और फतवा जारी करते हैं। इसकी आड़ में उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। पाकिस्तान में हर साल हजारों हिंदू लड़कियों को अगवा किया जाता है और उनके धर्म परिवर्तन किया जाता है। पाकिस्तानी कट्टरपंथी इस्लामी नेता वहां हिंदुओं के मंदिरों में प्रवेश नहीं करने देते हैं और अब पाकिस्तान में इस्लामाबाद के करीब बन रहे मंदिर के खिलाफ हैं।

उनका कहना है कि इस्लामिक देश होने के नाते अल्पसंख्यकों को धार्मिक आजादी नहीं है। वहीं किसी मंदिर के निर्माण की गुंजाइश नहीं है। कुछ दिनों पहले ही सिंध प्रांत में इस्लामिक भीड़ ने हिंदुओं के एक मंदिर पर भीषण हमला कर उसे तोड़ दिया था। ये सब पाकिस्तान की इमरान खान सरकार में हो रहा है। क्योंकि देश के कट्टरपंथियों को इमरान खान सरकार का समर्थन हासिल है। पाकिस्तान का मानवाधिकार आयोग भी अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के हनन के मामलों को चिंताजनक जता चुका है।