नई दिल्ली। लोकसभा में तीन तलाक बिल पारित हो जाने के बाद अब राज्यसभा में सरकार आज इसे पारित कराएगी। इसके लिए भाजपा ने अपने सांसदों को राज्यसभा में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है। तीन तलाक बिल को कानून में बनाने के लिए भाजपा सरकार आज तीसरी बार इस बिल को राज्यसभा में पेश करेगी। जबकि इससे पहले दो बार सदन में बहुमत न होने के कारण ये बिल पास नहीं हो सका था।

विपक्ष के तमाम आरोपों और विरोधों के बाद आज केन्द्र सरकार राज्यसभा में तीन तलाक को बिल को पेश करेगी। हालांकि संख्याबल तो सरकार के पक्ष में नहीं है। लेकिन सरकार को उम्मीद है कि इस बार ये बिल राज्यसभा से पारित हो जाएगा। ये बिल तीन बार लोकसभा से पास हो चुका है।

अब इसको राज्यसभा से पारित कराने की बड़ी चुनौती सरकार के पास है। लिहाजा आज भाजपा ने अपने सभी सांसदों से लोकसभा और राज्यसभा का व्हिप जारी कर मौजूद रहने के लिए कहा है। अगर आज ये बिल राज्यसभा से पास हो जाता है तो इसे कानून का रूप देने के लिए राष्ट्रपति को अनुमति के लिए भेजा जाएगा।

इन दलों पर लगी सरकार की नजर

केन्द्र की भाजपा सरकार को हालांकि इस बिल के अपने सहयोगी जदयू का भी साथ नहीं मिल रहा है। लेकिन उसे परोक्ष तौर से बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति(टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस का समर्थन मिल रहा है।

क्योंकि रणनीति के तहत ये दल सदन में गैरमौजूद रहेंगे और जिसके बाद सांसदों की संख्या के आधार पर इस बिल को राज्यसभा से पास करा लिया जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि सपा और बसपा भी सदन से वॉकआउट करेगी। जिसका फायदा सरकार को मिल जाएगा। हालांकि कांग्रेस और यूपीए के सदस्य इस बिल का विरोध करेंगे।

क्या है राज्यसभा का गणित

राज्यसभा में इस वक्त सदस्यों की संख्या 240 है। लिहाजा इस बिल को पारित करने में 121 सदस्यों की जरूरत होगी। वहीं केन्द्र सरकार के पास 117 सदस्यों का समर्थन है। जबकि उम्मीद की जा रही है कि जदयू, टीआरएस, वाईएसआर के 14 सदस्य सदन से वॉकआउट करेंगे।

जबकि राजद-सपा के तीन सदस्यों की मतदान में हिस्सा लेने की उम्मीद नहीं है। इस आधार पर राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 223 रह जाएगी। इस आधार पर सरकार को इस बिल को पारित कराने के लिए महज 112 सदस्यों की जरूरत होगी।

जबकि सरकार के पास 117 सदस्य है। पिछले हफ्ते ही भाजपा सरकार राज्यसभा में विपक्ष के विरोध के बावजूद आरटीआई संशोधन बिल को भी पारित करा चुकी है। जिसमें बिल के समर्थन में 117 और विरोध में महज 74 मत पड़े थे।