पटना। बिहार में राज्यसभा की खाली हो रही है पांच सीटों में जातिगत समीकरणों को देखकर राजनैतिक दलों ने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव में इसी आधार पर जनता को साधा जा सके। राज्य में अगड़ी जाति  से लेकर पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया है। राजद ने अमरेंद्र धारी सिंह को मैदान में उतार कर जनता दल यूनाइटेड को टक्कर दी है। हालांकि इससे पहले ये कहा जा रहा है कि राजद फैसल अली को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाएंगे।

राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को होने वाले चुनाव को लेकर राजग और राजद ने अपने अपने प्रत्याशियों को उतारा है। राज्यसभा चुनाव के लिए 13 मार्च को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है। नामांकन की तारीफ के नजदीक  आते ही भारतीय जनता पार्टी, जदयू और राजद प्रत्याशियों के नाम की घोषणा एक ही दिन कर दी है। हालांकि राज्यसभा चुनाव में राजद ने कांग्रेस की एक नहीं सुनी है और दोनों ही  सीटों पर अपने ही प्रत्याशियों का ऐलान किया है। जबकि कांग्रेस एक सीट पर दावा कर रही थी और कांग्रेस ने राजद को उसका वचन याद दिलाया था।

जदयू ने राज्यसभा के लिए मौजूदा राज्यसभा सांसद डॉ हरिवंश और कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर को मैदान में उतारा है।  जदयू ने इसके जरिए राजपूत और अति पिछड़े वर्ग को साधने की कोशिश की है। वहीं भाजपा ने विवेक ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है। विवेक राज्यसभा सांसद सीपी ठाकुर के बेटे हैं। लिहाजा भाजपा ने इसके द्वारा अगड़ी जाति के वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। हालांकि इस सीट के लिए कायस्थ जाति के आरके सिन्हा ने भी पूरा जोर लगा दिया था। लेकिन इस मामले में विवेक ठाकुर ने बाजी मारी।

हालांकि सीपी ठाकुर को भाजपा फिर से प्रत्याशी नहीं बनाना चाहती थी। लिहाजा उनके बेटे को मैदान में उतारा गया है। वहीं राजद ने लालू प्रसाद के करीबी प्रेम गुप्ता और अमरेंद्र धारी सिंह को उम्मीदवार बनाया है। हालांकि पहले फैजल अली को प्रत्याशी बनाया गया था। लेकिन इस मामले में अमरेंद्रधारी सिंह ने बाजी मारी है।  बिहार में मुस्लिम मतदाताओं का राजद के प्रति झुकाव माना जाता है। लिहाजा राजद ने  मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर मुस्लिमों को संदेश दिया है। फैसल अली 2019 राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार रह चुके हैं। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।