नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार राज्य में एकछत्र राज्य करने और विरोध दलों की ताकत को कम  करने के लिए राज्य के विधान परिषद को खत्म करने पर अड़ा है। इसके लिए आंध प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार पर दबाव बनाया है। ताकि राज्य में विधानपरिषद को खत्म किया जा सके।

असल में राज्य में जगन मोहन सरकार के पास विधान परिषद में बहुमत नहीं है। लिहाजा किसी बिल को पारित करने में राज्य सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। राज्य की विधानपरिषद में चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली तेलगू देशम पार्टी का बहुमत है। लिहाजा राज्य सरकार राज्य में विधान परिषद को खत्म करना चाहती है। इसके लिए आंध्र प्रदेश की वाईएस जगन मोहन रेड्डी सरकार ने सोमवार को केंद्र से गुजारिश की। राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से कहा कि वह राज्य के विधान परिषद को जल्द से जल्द खत्म करे। वहीं केन्द्र सरकार राज्यसभा में अकसर वाईएसआर कांग्रेस समर्थन देती है। लिहाजा राज्य सरकार केन्द्र सरकार पर दबाव बना रही है।

वहीं आंध्र प्रदेश विधानसभा ने 27 जनवरी को एक प्रस्ताव पारित कर विधान परिषद को खत्म करने की मांग की थी। असल में विधान परिषद खत्म करने के लिए राष्ट्रपति का अनुमोदन आवश्यक है। इसके लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजना होता है और फिर केन्द्र सरकार राज्य के प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेजती है। गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश में 58 सदस्यों की विधान परिषद में वाईएसआर कांग्रेस के महज 9 विधायक हैं और जबकि विपक्ष की कुर्सी पर बैठने वाली तेलुगु देशम पार्टी के पास 28 विधायकों का बहुमत है।