नई दिल्ली: भारतीय सेना ने हिममानव 'येति' के पैरों के निशान मिलने का दावा किया है। सेना के सूचना विभाग की तरफ से ट्वीट करके कहा गया है, 'पहली बार एक भारतीय सेना एक पर्वतारोही दल ने 09 अप्रैल, 2019 को नेपाल बॉर्डर के पास मकालू बेस कैंप के पास 32x15 इंच लंबे पैरों के निशान देखे हैं। ये रहस्यमयी हिममानव 'येति' के पैरों के निशान हो सकते हैं। इस तरह के निशान पहले भी मकालू-बरुन नेशनल पार्क में देखे गए हैं। सेना ने किया येति के फुटप्रिंट मिलने का दावा
सेना के इस दावे के बाद हिममानव येति एक बार फिर चर्चा में आ गया है। आईए आपको बताते हैं कि येति के बारे में सबसे पहले कब खबर मिली। 

1.    सन 1832 में पश्चिमी दुनिया ने जाना येति के बारे में
वैसे तो हिमालय से जुड़े नेपाल, भूटान, तिब्बत जैसे देशों में येति की चर्चा आम तौर पर होती है। लेकिन पश्चिमी दुनिया के लोगों के बीच सबसे पहले 1832 में येति के बारे में चर्चा हुई। स्विट्जरलैण्ड के रहने वाले पर्वतारोही बी.एच. होजसन ने उत्तरी नेपाल के पहाड़ी इलाके की ट्रैकिंग से लौटकर दावा किया कि उन्होंने एक विशालकाय प्राणी को देखा। यह प्राणी इंसानों की तरह दो पैरों पर चल रहा था। इसके शरीर पर घने लंबे बाल थे।          होजसन ने एशियाटिक सोसाइटी के जर्नल में इस घटना का उल्लेख किया। 

2.    सन् 1889 में बर्फ में मिले येति के पांवों के निशान

सन 1889 में हिमालयन क्षेत्र में पर्वतारोहन करने वाले पर्वतारोहियों के एक दल ने बर्फ में ऐसे किसी प्राणी के पदचिह्न देखे गये जो आदमी की तुलना में काफी बड़े थे। यह पैरों के निशान जोड़े की शक्ल में थे, जिससे पता चला कि वह प्राणी दो पैरों पर चलता था।                 यह निशान काफी हद तक भारतीय सेना द्वारा दिखाए गए फोटोग्राफ से मिलते हैं। 

3.    सन् 1925 में फिर से किया गया येति दिखने का दावा 

रॉयल ज्योग्राफिकल सोसाइटी के जर्मन फोटोग्राफर एम.ए. टॉमजी ने सन् 1925 में हिमालयन क्षेत्र में जेमू ग्लेशियर के पास एक विचित्र प्राणी को देखने का दावा किया। इसके शरीर की बनावट इंसानों जैसी थी। इसके शरीर पर बहुत अधिक बाल थे। यह इंसानों की तरह चल रहा था। कुछ ही देर में वह बर्फ के बीच कहीं खो गया।                जहां पर वह विचित्र प्राणी मौजूद था वहां जाने पर टॉमजी ने ऐसे पदचिह्न देखे जो सात इंच लंबे व चार इंच चौड़े थे। 

4.    मददगार भी होते हैं येति,1938 में बताई गई रोचक कहानी
सन् 1938 में कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल की देखरेख करने वाले कैप्टन ने बताया कि हिमालय की यात्रा के दौरान वो बर्फीली ढलान पर फिसल कर घायल हो गये थे। तब येति जैसे दिखने वाले 9 फुट ऊंचे एक प्राणी ने उनकी मदद की। वह उन्हें उठाकर अपनी गुफा में ले गया।               जहां पर येति ने जड़ी बूटियों से उनके जख्मों का इलाज किया और ठीक होने तक उन्हें अपने पास ही रखा। 

5.    1951 में येति दिखने का किया गया दावा
सन 1951 में एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने की कोशिश करने वाले एरिक शिप्टन ने 19,685 फीट की ऊंचाई पर बर्फ पर बने पदचिन्हों के कई बड़े-बड़े फोटो लिए।                   फुटप्रिंट के यह फोटो आज भी गहन अध्ययन और बहस का विषय बने हुए हैं।

6.    1953 में एवरेस्ट विजेता एडमंड हिलेरी भी कर चुके हैं येति देखने का दावा
माउंट एवरेस्ट पर सबसे पहले फतह हासिल करने वाले पर्वतारोही सर एडमंड हिलरी और तेनज़िंग नोर्गे ने भी 1953 में एवरेस्ट चढ़ाई के दौरान बड़े-बड़े पदचिह्न देखने की बात कही थी। हालांकि बाद में अपने दावे की पुष्टि के लिए उन्होंने आगे कुछ खास नहीं किया। 

7.    1970 में ब्रिटिश पर्वतारोही ने भी किया दावा
साल 1970 में ब्रिटिश पर्वतारोही डॉन व्हिलॉन्स ने दावा किया कि अन्नपूर्णा चोटी पर चढ़ने के दौरान उन्होंने एक विचित्र प्राणी को देखा।             उनके स्थानीय गाइड ने बताया कि यह प्राणी येति है। 

8.    1974 में सामने आया हमलावर येति 
साल 1974 में नेपाल से सटे हिमालय के एक गांव में दिलचस्प वाकया हुआ। यहां एक शेरपा लड़की अपने याक चरा रही थी। तभी उसने वनमानुष जैसे एक विशाल प्राणी को देखा। लड़की उसे देखकर जोर जोर से चिल्लाने लगी। जिससे नाराज होकर उस प्राणी ने उसका अपहरण करने की कोशिश की। बाद में लड़की के चिल्लाने पर उसने उसे छोड़ दिया। लेकिन उसके एक याक को मार डाला और उसका मांस खाते हुए वहां से निकल गया। 
इस मामले की शिकायत पुलिस में भी की गई। मौका ए वारदात पर पहुंची पुलिस को भी घटनास्थल पर बड़े बड़े पांवों के निशान मिले। 

9.    मेघालय में भी दिखा येति 
हाल में लगभग दस साल पहले यानी 2008 में मेघालय के गारो हिल्स के आस-पास रहने वाले लोगों ने एक ऐसे प्राणी को देखने का दावा किया है जिसकी लंबाई 10 फीट थी। इसका वजन करीब 300 किलोग्राम बताया गया।

10.    साल 2016 में भी किया गया येति दिखने का दावा 

 साल 2016 में ब्रिटिश अखबार द डेली मेल में एक रिपोर्ट छपी। जिसमें एक पर्वतारोही स्टीव बैरी के हवाले से बताया गया कि उन्होंने भूटान में येति के पैरों के निशानों को देखने का दावा किया है। स्टीव का कहना है कि येति के पैरों के निशानों का यह रास्ता भुटान में सबसे ऊंचे पहाड़ गंगखार पुनसुम 17800 फुट की ऊंचाई पर देखा गया था।                   ये निशान बिल्कुल ताजे थे, जैसे येति यहां से मात्र थोड़ी ही देर पहले गुजरा हो। 

11.    येति को तलाश करने की बहुत कोशिशें की गई
साल 2011 में रूस के केमेरोवा में अंतरराष्ट्रीय येति कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ। इस कान्फ्रेंस में वैज्ञानिकों ने साइबेरिया में येति के होने के एक नहीं कई सबूत पेश किए। जिसमें एक सबूत के तौर पर येति के बालों का गुच्छा पेश किया गया।
इसके अलावा पूर्व हैवीवेट बॉक्सिंग चैम्पियन निकोलाइ वेल्युव ने येति को खोजने के एक अभियान में भी हिस्सा लिया था।