रक्षा मंत्री ने आज भारतीय सेना की फायर पावर में जबरदस्त इजाफा किया। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने गुरुवार को ही बता दिया था कि नवंबर 2020 तक सेना को 4,366 करोड़ की 100 के-9 वज्र तोपें दी जाएंगी। इस बैच की 10 तोपें इस महीने के अंत तक सेना को सोंप दी जाएंगी। 40 अन्य तोपें अगले साल नवंबर में मिलेंगी। जबकि 50 वज्र तोपें नवंबर 2020 में दी जाएंगी।

भारत के लिए एक गर्व की बात यह भी है कि स्वदेशी के-9 वज्र की पहली रेजिमेंट को भारतीय निजी क्षेत्र में ही तैयार किया जा रहा है। देश में इससे पहले कभी भी तोपों का निर्माण नहीं किया गया था। यह पहली दफा है जब तोप का निर्माण किया जा रहा है। 

जानकारी के मुताबिक के-9 वज्र की पूरी तोप अगले साल जुलाई तक बनकर तैयार हो जाने की पूरी उम्मीद है। इन तोपों की मारक क्षमता 28-38 किलोमीटर तक है। यह तोप महज तीस सेकेंड में अनवरत तीन राउंड की गोलाबारी कर सकती है। तीन मिनट में 15 राउंड की भीषण गोलाबारी कर सकती है और 60 मिनटों में लगातार 60 राउंड की फायरिंग भी कर सकती है। 

इसके अलावा, सेना कुल 145 एम777 होवित्जर तोपों की साथ रेजिमेंट भी बनाएगी। अगस्त 2019 की शुरुआत में पांच तोपें सेना को सौंप दी जाएंगी। जबकि यह प्रक्रिया पूरी होने में 24 महीनों का वक्त लगेगा। 30 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली इस तोप को हेलीकॉप्टरों या विमान से एक से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जा सकेगा। 

इस समारोह के दौरान 130 एमएम और 155 एमएम की तोपों को ले जाने वाले कांपैक्ट गन ट्रैक्टर को भी तोपखाने में शामिल किया जा चुका है। तोप से जुड़ने के साथ इस वाहन की अधिकतम गति 80 किमी प्रति घंटे और 50 किमी प्रति घंटे है।