पिछले दिनों 21 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर के सुंदरबनी सेक्टर में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा घुसपैंठ की कोशिश की थी। लेकिन सुरक्षाबलों ने इसे विफल कर दिया। हालांकि इस घटना में दो आतंकियों सहित तीन जवानों की भी मौत हो गई थी। 

इस मामले में विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तानी उच्चायोग के सामने कड़ा विरोध जताया। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को पाकिस्तान उच्चायोग के एक वरिष्ठ अधिकारी को तलब किया और जम्मू-कश्मीर में सीमा पार घुसपैठ के प्रयास को लेकर विरोध दर्ज कराया। 

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के एक वरिष्ठ अधिकारी को विदेश मंत्रालय ने तलब किया और जम्मू एवं कश्मीर के सुदंरबनी सेक्टर में पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा 21 अक्टूबर को सीमा पार घुसपैठ के प्रयास पर कड़ा विरोध दर्ज कराया गया, जिस दौरान भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।'

बयान में कहा गया है, 'उन्हें बताया गया कि गोलीबारी के दौरान भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा दो पाकिस्तानी सशस्त्र घुसपैठियों को मार गिराया गया और पाकिस्तान सरकार को अपने नागरिकों के शव वापस ले लेने चाहिए।' 

बयान के मुताबिक, 'मंत्रालय पाकिस्तान द्वारा उकसावे की ऐसी कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा करता है। पाकिस्तान के इस कृत्य से आतंकवाद को मदद और बढ़ावा देने की उसकी मिलीभगत का खुलासा होता है। 

साथ ही इस तरह की हरकत से पाकिस्तान की शांति की इच्छा और रचनात्मक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के छलावा भरे दावे की भी कलई खुलती है।'

मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में पाकिस्तानी बलों द्वारा बगैर किसी उकसावे के संघर्षविराम उल्लंघन की जारी घटनाओं के प्रति गंभीर चिंता प्रकट करता है। 

मंत्रालय ने कहा, 'शांति और सौहार्द्र कायम रखने के लिए 2003 के संघर्षविराम समझौते का पालन करने और संयम बरतने के बार-बार के आग्रह के बावजूद पाकिस्तानी बलों ने 2018 में अब तक अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में बगैर किसी उकसावे के संघर्षविराम उल्लंघन की 1,591 घटनाओं को अंजाम दिया है।' (इनपुट एजेन्सी से)