नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने वालों की पौ-बारह है। मार्केट बहुत अच्छा रिटर्न दे रहा है। निवेशकों को घाटा नहीं झेलना पड़ रहा है और उन्हें अपने निवेश पर अच्छा मुनाफा भी हो रहा है। 

दरअसल शेयर बाजार को बीजेपी की सरकार पसंद आती है। केन्द्र में जब जब बीजेपी की सरकार रहती है निवेशकों को अपना पैसा सुरक्षित महसूस होता है। क्योंकि बीजेपी की सरकार बजट के मुताबिक ही घोषणाएं करती है। जबकि दूसरी सरकारें देश के आर्थिक सुरक्षा को ताक पर रखकर वोट बटोरने के लिए लोकलुभावन घोषणाएं करती हैं। 

इस बात का सबसे ताजा उदाहरण है राहुल गांधी द्वारा गरीब परिवारों को बिना काम किए सालाना 72(बहत्तर) हजार रुपए देने की घोषणा करना। 

इसीलिए जब भी शेयर बाजार को यह आशंका होती है कि देश से बीजेपी की सरकार जाने वाली है तो बिकवाली का दौर शुरु हो जाता है। जिससे शेयर बाजार लुढ़क जाता है। खास तौर पर चुनाव की घोषणा होते ही शेयर बाजार में निवेश करने वाले सावधान हो जाते हैं। खास तौर पर विदेशी पोर्टफोलियो निदेशक तो कुछ ज्यादा ही सावधानी से निवेश करने लगते हैं।  

लेकिन इस बार चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बावजूद शेयर बाजार में तेजी बनी हुई है। जिसे देखकर लगता है कि केन्द्र में मोदी सरकार वापस लौट रही है।

आईए आपको शेयर बाजार की चाल का अध्ययन करके बताते हैं कि आखिर वह कौन से प्रमुख बिंदु हैं जो संकेत दे रहे हैं कि केन्द्र में मोदी सरकार वापस लौट रही है। 

1.    विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का भरोसा बरकरार रहना

पिछले एक महीने में एक दिलस्प ट्रेंड देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। लेकिन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक बिल्कुल निश्चिंत दिख रहे हैं। पिछले एक महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफ़पीआई) ने रिकॉर्ड खरीदारी की है। सिर्फ मार्च के महीने में अब तक विदेशी पोर्टफोलिया निवेशक 34 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक की ख़रीदारी कर चुके हैं, जो कि भारतीय शेयर बाज़ार के इतिहास में अब तक किसी महीने में सबसे अधिक ख़रीदारी का रिकॉर्ड है। 
पिछले महीने भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने जमकर खरीदारी की थी। मार्च 2017 में एफ़पीआई की ख़रीदारी 30,906 करोड़ रुपये की रही थी। 

विदेशी निवेशकों का यह भरोसा बताता है कि उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि केन्द्र में मोदी सरकार लौटने वाली है और उनका पैसा सुरक्षित बना रहेगा। 

यही निश्चिंतता उन्हें बाजार मे ज्यादा से ज्यादा पैसा लगाने के लिए प्रेरित कर रही है। 

2.    डेट मार्केट में निवेश का बढ़ना

आम तौर पर भारतीय कॉरपोरेट डेट मार्केट को काफी जोखिम भरा माना जाता था। 2014 में तो विश्व बैंक ने जोखिम के हिसाब से भारतीय डेट मार्केट को दुनियाभर में 134वां स्थान दिया था। लेकिन अब स्थितियां वैसी नहीं रहीं। भारतीय डेट मार्केट में निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है। 

पिछले कुछ महीनों में डेट मार्केट यानी फिक्स्ड इनकम फंड्स की चाल पर गौर से देखें तो आप पाएंगे कि उनके रेट्स कम होते जा रहे हैं। जिसका मतलब साफ है कि उसमें किए गए निवेश की वैल्यू बढ़ती जा रही है। डेट मार्केट में किए गए इन्वेस्टमेंट का सिलसिला  लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

विदेशी निवेशकों ने शेयरों के अलावा डेट मार्केट में भी मोटी रक़म डाली है और मार्च में विदेशी निवेशकों का कुल निवेश 43 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का रहा है। जिसे देखकर लगता है कि डेट मार्केट को भी भरोसा है कि मोदी सरकार सत्ता में वापस लौटेगी और उनका निवेश सुरक्षित रहेगा। 

3.    शेयर बाजार में सात फीसदी का उछाल 

आम तौर पर होता है जब भी चुनावों की तारीख का ऐलान होता है तो निवेशक थम जाते हैं। चुनावी लोकतंत्र की अनिश्चितता की वजह से उन्हें पता नहीं होता है कि किसकी सरकार बनेगी। जिसकी वजह से वह पैसा लगाने में हिचकते हैं। लेकिन इस बार तो जैसे सारे पुराने मानक ध्वस्त हो गए। 

जैसे ही भारतीय निर्वाचन आयोग ने चुनावों की तारीख़ का ऐलान किया वैसे ही शेयर बाजार कुंलाचे मारते हुए उपर चढ़ गया। 
बाजार अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था। अकेले मार्च के महीने में ही बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के संवेदी सूचकांक सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में 7 फ़ीसदी से अधिक उछाल देखा गया। यह भी संकेत बताता है कि विदेशी निवेशकों के साथ साथ देशी निवेशकों को भी इस बात का पूरा भरोसा है कि मोदी सरकार सत्ता में वापस लौटेगी। जिसकी वजह से उनका पैसा सुरक्षित रहेगा। 

यही वजह है कि निवेशक भारतीय शेयर बाजार में पैसा लगाने में हिचक नहीं रहे हैं। 


4.    भारतीय बाजार के बुनियादी तत्वों में सुधार 

मोदी सरकार के पिछले पांच सालों के कार्यकाल में भारतीय बाजार के बुनियादी तत्वों में सुधार देखा जा रहा है। कच्चे तेल की कीमतें नियंत्रण में हैं। विदेशी निवेशक डॉलर लेकर आ रहे हैं, जिसकी वजह से डॉलर की बनिस्पत रुपए की कीमतें सुधरती हुई दिख रही हैं। फिलहाल एक डॉलर की कीमत 69(उनहत्तर) रुपए है। जो कि पिछले साल के अक्टूबर की 74.5 रुपए कीमत से बहुत नीचे है। 

कच्चे तेल की कीमतों ने निवेशकों को यह भरोसा दिलाया है कि जब तेल सस्ता मिलेगा तो विदेशी मुद्रा की बचत तो होगी है। उस पर से विदेशी फंडों का भारत में निवेश और समय-समय पर रिज़र्व बैंक की डॉलर नीलामी की प्रक्रिया से रुपये में मज़बूती आई है। 

इसके अलावा खुदरा महंगाई दर में भी कमी आई है। खुदरा महंगाई दर फरवरी में 2.57 प्रतिशत के स्तर पर थी और चार महीने की गिरावट पर थी, लेकिन अब भी ये आरबीआई के 4 प्रतिशत के बेंचमार्क से नीचे है।

यह सभी बुनियादी तत्व हैं जो कि बाजार की चाल पर प्रभाव डालते हैं। पिछले पांच साल में मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों ने बाजार पर गहरा असर डाला है। 

निवेशकों को भरोसा है कि मोदी सरकार जब दोबारा लौटेगी तो यह सुधार आगे भी जारी रहेंगे। जिसकी वजह से उनका भरोसा भारतीय बाजारों में बना हुआ है। 

5.    सस्ते कर्ज की आशा

सस्ता कर्ज हासिल होने की उम्मीदों ने भी भारतीय शेयर बाजार को नई ऊचाइयों पर पहुंचाया है। अब से कुछ ही दिनों बाद यानी दो अप्रैल से भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी की बैठक होने वाली है। तीन दिन तक चलने वाली इस बैठक में रेपो रेट (वह दर जिस पर रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उधारी देता है) में कटौती का फ़ैसला होने की उम्मीद की जा रही है। जिसकी वजह से भी शेयर बाजार की उम्मीदों को पंख लग गए हैं। 

क्योंकि सस्ता कर्ज बाजार की आर्थिक गतिविधियों को तेज करता है। रिज़र्व बैंक ने फ़रवरी में ब्याज दरों में 0.25 फ़ीसदी कटौती की थी और अभी ये 6.25 फ़ीसदी है। निवेशकों को उम्मीद है कि अगली बार मोदी सरकार लौटेगी और उसकी वर्तमान नीतियां जारी रहेंगी। जिसकी वजह से शेयर बाजार में तेजी बनी हुई है। 

6.    पिछले एक साल में हुई निवेशकों की जबरदस्त कमाई

निवेशकों ने पिछले एक साल में शेयर बाजार से 8.83 लाख करोड़ रुपए की कमाई की है। वित्त वर्ष 2018-19 में 17 फीसदी के उछाल के साथ सेंसेक्स ने 5,704 अंकों की बढ़त हासिल की। इसके अलावा निफ्टी में भी 15 फीसदी का उछाल देखा गया। 
शुक्रवार यानी कल शेयर बाजार बढ़त के साथ बंद हुआ। 

इस साल शेयर बाजार के आखिरी दिन बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 151 लाख करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष 2017-18 में कुल पूंजीकरण 20.70 लाख करोड़ रुपये बढ़ा था। 

यानी एक साल में शेयर बाजार के निवेशकों ने जबरदस्त कमाई की। उन्हें आगे भी यह ट्रेंड जारी रहने की उम्मीद है। निवेशक पिछले साल के अनुभवों के सबक लेते हुए अगली बार भी मोदी सरकार के लौटने की उम्मीद कर रहे हैं। 

भारतीय शेयर बाजार के यही सब ट्रेंड इशारा करते हैं कि अगली बार भी मोदी सरकार की सत्ता में वापसी हो रही है।