हरियाणा में विपक्ष के नेता के पद के लिए कांग्रेस और इनेलो में घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस का दावा है कि इनेलो के बाद विपक्ष के नेता के पद के लिए विधायकों का जरूरी आंकड़ा नहीं है। जबकि इनेलो का कहना है कि पार्टी में किसी भी तरह की टूट नहीं है। लेकिन अब कांग्रेस ने विपक्ष के नेता का पद हासिल करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखने की तैयारी शुरू कर दी है। 

असल में जब 2014 में राज्य के विधानसभा चुनाव हुए थे। तब इनेलो के पास 19 विधायक थे। इसी के आधार पर मुख्य विपक्षी दल मानते हुए उसे नेता विपक्ष का पद मिला। लेकिन चौटाला परिवार में दरार पड़ने के बाद उसके चार विधायक जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) में चले गए और इससे पार्टी का रूतबा विधानसभा में कम हो गया। इनेलो के टिकट पर जीते नैना चौटाला, राजदीप फौगाट, अनूप धानक और पिरथी नंबरदार जेजेपी को समर्थन कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 15 विधायक जीते थे। उसके बाद हरियाणा जन कांग्रेस का कांग्रेस में विलय हो गया और उसके दो विधायक कुलदीप विश्नोई और रेणुका विश्नोई कांग्रेस के सदस्य बन गए। लेकिन उसके बाद भी इनेलो के पास विपक्ष के नेता का पद रहा।

इनेलो मे टूट के बाद अब कांग्रेस के पास 17 विधायकों का आंकड़ा है। लिहाजा कांग्रेस इस सीट के लिए दावा कर रही है। वहीं इनेलो के दो विधायकों का निधन हो गया है और इसमें से एक सीट भाजपा ने उपचुनाव में जीती है। अब विधायसभा के आंकड़े के मुताबिक इनेलो के 7 विधायक कम हो गए हैं और उसके पास महज 13 विधायक बचेंगे। वहीं, हजकां के विलय से कुलदीप बिश्नोई व रेणुका बिश्नोई के कांग्रेस में आने के बाद उसकी सदन में ताकत बढ़ गयी है। लिहाजा अब अभय चौटाला की कुर्सी खतरे में है। हालांकि अभी तक जेजेपी को सदन में मान्यता नहीं मिली है।

लेकिन अगर जेजेपी समर्थित विधायक ने इनेलो के खिलाफ वोट डालते हैं तो इनेलो के साथ ही नेता विपक्ष का पद जा सकता है। सदन में कांग्रेस के विधायक और पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि विधायकों की संख्या को देखते हुए सदन में कांग्रेस सबसे बड़ा दल है। लिहाजा इसके लिए कांग्रेस को विपक्ष के नेता का पद मिलना चाहिए। उनका कहना था कि नेता प्रतिपक्ष की जगह खाली हो और इसके लिए वोटिंग करायी जाए। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इसके लिए सदन में प्रस्ताव लाया जाए।