पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकाने पर वायुसेना के हवाई हमले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव से निपटने के लिए भारत ने पुख्ता तैयारी कर रखी थी। पाकिस्तान की ओर से किसी भी तरह के दुस्साहस का जवाब देने के लिए नौसेना ने अपने जंगी बेड़े, परमाणु पनडुब्बी और दूसरे पोतों के साथ-साथ विमानवाहक पोत को भी ऑपरेशनल कर दिया था। ये बेड़ा उस समय भारतीय नौसेना के सबसे बड़े युद्धाभ्यास ट्रोपेक्स 19 यानी थियेटर लेवल ऑपरेशनल रेडीनेस एक्सरसाइज के लिए अरब सागर में मौजूद था। 

नौसेना के प्रवक्ता के अनुसार, 'भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने की स्थिति में नौसेना की बड़ी लड़ाकू इकाई ऑपरेशनल तैनाती मोड में आ गई थी। इसमें जंगी जहाज, विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और परमाणु पनडुब्बियां शामिल थीं। ये बेड़ा तुरंत युद्धाभ्यास से ऑपरेशन की स्थिति में आ गया था।' 

समुद्री क्षेत्र में पाकिस्तान के किसी भी तरह के दुस्साहस को रोकने के लिए नौसेना को हाई अलर्ट पर रखा गया था। ट्रोपेक्स 19 में नौसेना के 60 पोत, कोस्ट गार्ड के 12 पोत और 60 अलग-अलग एयरक्रॉप्ट हिस्सा ले रहे हैं। 

नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सात जनवरी को शुरू हुई इस एक्सरसाइज को 10 मार्च तक खत्म होना था लेकिन पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद यह लंबा खिंच गया। पुलवामा हमले के बाद नौसेना के उत्तरी अरब सागर में तैनात बेड़े को ऑपरेशनल कर दिया गया था। 

नौसेना के प्रवक्ता के अनुसार, 'ट्रोपेक्स 19 युद्धाभ्यास के लिए इतनी बड़ी संख्या में जुटे पोतों को तेजी से बदलते घटनाक्रम के दौरान जवाबी कार्रवाई के लिए तुरंत तैयार करने में मदद मिली। तीनों सेनाओं के तालमेल से यह करना आसान रहा। नौसेना की तीनों तरीकों से जवाब देने की क्षमता के चलते पाकिस्तानी नेवी मकरान की खाड़ी में ही खड़ी रही। उसने खुले समुद्री क्षेत्र में आने की हिम्मत नहीं दिखाई।'

नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा की मौजूदगी में सोमवार को कोच्चि में सबसे बड़े युद्धाभ्यास ट्रोपेक्स 19 की उपलब्धियों की समीक्षा की जाएगी।  

इससे पहले, तीनों सेनाओं की ओर से अंडमान एवं निकोबार में ट्रोपेक्स 19 की शुरुआत हुई थी। इसके बाद 22 जनवरी और 23 जनवरी को सबसे बड़ी तटीय सुरक्षा अभ्यास किया गया। इसे 'सी विजिल' यानी समुद्री निगरानी नाम दिया गया। 13 तटीय राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ सभी समुद्री हितधारकों को इसमें शामिल किया गया। अपने फैलाव और शामिल होने वाली इकाइयों के लिहाज से ट्रोपेक्स एक बहुत बड़ा अभ्यास रहा है। 

सोमवार को नौसेना प्रमुख एडमिरल लांबा सभी ऑपरेशनल कमांडरों के साथ ट्रोपिक्स 19 की समीक्षा करेंगे। इस अभ्यास का उद्देश्य भारतीय नौसेना की ऑपरेशनल तैयारियों को परखना था। 

नौसेना की तैनाती, मारक क्षमता को लेकर यह एक वास्तविक पड़ताल साबित हुई है। इस युद्धाभ्यास से मिले सबक से नौसेना को अपनी जरूरतों के अनुरूप जरूरी ढांचे को ढालने में मदद मिलेगी। साथ ही जरूरी उपकरणों एवं सामग्री का भी अनुमान लग सकेगा।