नई दिल्ली: शनिवार यानी छह जुलाई से बीजेपी ने अपने सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए एक बड़े सदस्यता अभियान का आगाज किया। हिंदुत्ववादी राजनीति के दिग्गज और जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती के मौके पर आयोजित इस विशाल सदस्यता का लक्ष्य बीजेपी सदस्यों की संख्या 11 करोड़ से 20 करोड़ तक पहुंचाने की है। 
पीएम नरेन्द्र मोदी ने उत्तर भारत में अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से बीजेपी के सदस्यता अभियान की शुरुआत की तो गृहमंत्री अमित शाह ने दक्षिण भारत के तेलंगाना से। 

गृहमंत्री और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के पांव दक्षिण में पड़ने का परिणाम दोपहर बाद तक ही दिखने लगा। 

1. कर्नाटक में मच गई हलचल
कर्नाटक में कांग्रेस के 11 और जेडीएस के 3 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस के इस्तीफा देने वाले विधायकों में बीसी पाटिल, एच विश्वनाथ, नारायण गौड़ा, शिवराम हेब्बर, महेश कुमाथल्ली, प्रताप गौड़ा पाटिल, रमेश जारकीहोली और गोपालैया प्रमुख हैं। इस नए राजनैतिक बगावत को थामने के लिए कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के बड़े नेता जुट गए हैं।
लेकिन मामला अभी तक संभला नहीं है। इस्तीफा देने वाले कांग्रेस जेडीएस के विधायकों में से 10 बीजेपी शासित मुंबई पहुंच गए हैं। वहीं कांग्रेस के तीन विधायक रामलिंगा रेड्डी, एसटी सोमशेखर और मुनिरत्‍ना अभी बेंगलुरु में ही हैं। 

कर्नाटक की कांग्रेस जेडीएस सरकार पर संकट आने पर दिल्ली में सभी बड़े कांग्रेस नेताओं ने बैठक बुलाई, जिसके बाद सभी ने एक सुर में कर्नाटक के इस संकट के लिए बीजेपी को जिम्मेदार करार दिया है। 

हालांकि बीजेपी कर्नाटक की कांग्रेस जेडीएस के इस संकट में अपना किसी तरह का हाथ होने से इनकार कर रही है। लेकिन केन्द्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने साफ कहा है कि राज्य में बीजेपी सरकार बनाने के लिए तैयार है। 

 
2. तेलंगाना में खुद अमित शाह ने पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री को पार्टी में किया शामिल
बीजेपी के महासदस्यता अभियान के तहत पार्टी अध्यक्ष अमित शाह तेलंगाना पहुंचे थे। वहां उन्होंने कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री नंदेदला भास्कर राव को बीजेपी की सदस्यता दिलाई। वह वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हैं और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। 

इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने रंगारेड्डी जिले के मामीदिपल्ली गांव स्थित एक आदिवासी महिला जातवती सोनी के घर पहुंचे और वहां दोपहर का भोजन किया तथा चाय पी।  सोनी का घर रंगा रेड्डी जिले के ममीदिपल्ली गांव के जनजातीय टोले 'रंगानायकुला थांडा' में है।  यह हैदराबाद का बाहरी इलाका माना जाता है। 


3. आंध्र प्रदेश में टीडीपी के किले में लगा दी सेंध

इधर कर्नाटक का संकट चल ही रहा था कि आंध्र प्रदेश के बीजेपी इंचार्ज सुनील देवधर ने यह दावा करके धमाका कर दिया कि  कि तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के 18 विधायक और 30 एमएलसी हमारे संपर्क में हैं। उन्होंने दावा किया कि जल्दी ही राज्य में बीजेपी मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में होगा।  आंध्र प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला है।  इसके बाद जगन मोहन रेड्डी आंध्र प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने। 

इससे पहले ही  तेलुगू देशम पार्टी के 4 राज्यसभा सांसदों ने भारतीय जनता पार्टी का दामन चुके हैं। जब तेलुगू देशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू अपने परिवार के साथ विदेश में छुट्टियां बिता रहे थे, तब उनके छह राज्यसभा सांसदों में से 4 सीएम रमेश, टीजी वेंटकेश, जी मोहन राव और वाईएस चौधरी बीजेपी में शामिल हो गए। 

आंध्र प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में 175 विधानसभा सीटों में से वाईएसआर कांग्रेस को 151 सीटों पर जीत हासिल की जबकि एन चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी 102 से 23 सीटों पर सिमटकर रह गई।
इसमें से भी 18 विधायकों के समर्थन का बीजेपी दावा कर रही है। इसका मतलब है कि आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की तेलगूदेशम पार्टी का खात्मा ही हो जाएगा। 


4. दक्षिण भारत में ही बीजेपी के पास है बढ़ने का मौका 
पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने लगभग पूरे भारत में अपनी मजबूत उपस्थित दर्ज कराई और अकेले 303 सीटें जीतकर केन्द्र में सरकार बना ली। लेकिन दक्षिण भारत के प्रमुख राज्यों जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में पार्टी को सीटें नहीं मिली। 

यह स्थिति निराशाजनक तो है, लेकिन भविष्य की उम्मीदें भी वहीं से हैं। क्योंकि पूरे उत्तर, मध्य और काफी हद तक पूर्वोत्तर भारत में भी बीजेपी का  परचम लहरा रहा है। केवल दक्षिण के प्रमुख राज्यों में उसका प्रसार बाकी है। 

तार्किक और रणनीतिक आधार पर भी बीजेपी को दक्षिण भारत में अपना प्रसार करने में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए। 


5. सुनील देवधर और मुरलीधर राव जैसे नेताओं को खुली छूट
दक्षिण भारत में अपनी पैंठ बनाने के लिए बीजेपी बेचैनी इस बात से भी दिखाई देती है कि उसने दक्षिण में अपने कई दिग्गज नेताओं को काम करने की खुली छूट दे रखी है।

उत्तर पूर्व के कठिन किले में सेंध लगाने वाले सुनील देवधर को आंध्र प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई है तो आंध्र और तेलंगाना में मजबूत पकड़ रखने वाले मुरलीधर राव अमित शाह के साथ दक्षिणी राज्यों में साए की तरह नजर आते हैं। 

यह मुरलीधर राव का ही करिश्मा था कि तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी ने आदिलाबाद,करीमनगर,निजामाबाद,सिकंदराबाद जैसी चार अहम सीटें जीत लीं। जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। 

शनिवार को भी तेलंगाना के आदिवासी इलाकों में सदस्यता अभियान के दौरान मुरलीधर राव की उपस्थिति हर जगह दिखी।