नई दिल्ली/लखनऊ। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद आज कांग्रेस नेता सोनिया गांधी पहली बार रायबरेली जा रही हैं। चुनाव परिणाम घोषित होने के पहली बार सोनिया के साथ प्रियंका भी रायबरेली में रहेगी। प्रियंका रायबरेली में चुनाव में यूपी में मिली हार की समीक्षा करेंगी। इसके लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के सभी जिला अध्यक्षों और बड़े नेताओं को तलब किया है। लेकिन प्रियंका का रायबरेली में काफी सक्रिय हैं, जो उनका भविष्य में संसदीय पारी को शुरू करने की तरफ इशारा कर रहा है।

असल में सोनिया और प्रियंका का एक साथ रायबरेली जाना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन इसके राजनैतिक मायने भी हैं। अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की हार के बाद प्रियंका के लिए संसदीय राजनीति को शुरू करने के दरवाजे बंद हो गए हैं, खासतौर से अमेठी में। क्योंकि पहले ऐसा कहा जा रहा था कि अगर राहुल गांधी अमेठी और वायनाड सीट पर जीतते हैं तो प्रियंका गांधी राहुल की छोड़ी गयी अमेठी सीट से उपचुनाव लड़ेंगी।

हालांकि पहले कांग्रेस के नेता प्रियंका को वाराणसी से पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ाने के पक्ष में थे। लेकिन गांधी परिवार ने इसके लिए मना कर दिया। क्योंकि पार्टी ये अच्छी तरह से जानती थी कि वाराणसी में प्रियंका को हार का ही सामना करना पड़ेगा। अमेठी में राहुल गांधी बीजेपी नेता और केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से 55 हजार से ज्यादा वोटों से हारे हैं।

जबकि राजबरेली में सोनिया गांधी की जीत का अंतर भी कम हो गया है। सोनिया गांधी का स्वास्थ्य काफी अरसे से ठीक नहीं है, लिहाजा देर सबेर गांधी परिवार को ही यहां पर किसी अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करना ही होगा। जो प्रियंका गांधी की रायबरेली में अति सक्रियता से समझा जा सकता है। प्रियंका रायबरेली जिला पंचायत के अध्यक्ष की कुर्सी बचाने के लिए पंचायत सदस्यों को एकजुट कर रही हैं।

इसकी जिम्मेदारी उन्होंने कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह को दी है। लिहाजा आज प्रियंका का वहां सोनिया के साथ जाना एक रणनीति का हिस्सा है। वहीं प्रियंका ने समीक्षा बैठक लखनऊ के बजाए रायबरेली में करने का फैसला किया। क्योंकि इसके जरिए वह गांधी परिवार के इस गढ़ में संदेश देना चाहती हैं।