हालांकि अभी तक पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के मारे जाने के लेकर कोई पाकिस्तानी सरकार का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन अगर मीडिया रिपोर्ट पर विश्वास करें तो पुलवामा हमले के मास्टरमाइंट आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तान में मारा गया है। एक रिपोर्ट ये भी कहती है कि वैश्विक आतंकी घोषित होने के बाद पाकिस्तानी सेना उससे पीछा छुड़ाना चाहती थी लिहाजा उसे पाकिस्तानी सेना ने ही आर्मी अस्पताल में मरवा दिया है।

असल में इटली के एक पत्रकार ने दावा किया है कि 23 जून को पाकिस्तान के रावलपिंडी के एमिरेट्स आर्मी अस्पताल में सिलेंडर ब्लास्ट के दौरान मसूद मारा गया है। हालांकि अभी तक पाकिस्तान की सरकार किसी भी तरह के दावों की न तो पुष्टि कर रही है और न ही खंडन कर रही है।

पत्रकार का दावा है कि इस सिलेंडर ब्लास्ट की चपेट में आने से  जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर की मौत हो गई। हालांकि ये भी कहा जा रहा कि पाकिस्तान के लिए नासूर बन चुके मसूद को पाकिस्तान सेना ने ही मरवाया है। ताकि वह अपनी ईमेज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुधार सके।

क्योंकि पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान की हालत खराब है और वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलक पड़ चुका है। इटली की पत्रकार फ्रांसिस्का मरीनो ने दावा किया है कि मसूद अजहर का पाकिस्तान आर्मी के रावलपिंडी स्थित अस्पताल में किडनी का इलाज करा रहा था। उसका इलाज पाकिस्तानी सेना की देखरेख में किया जा रहा था। लेकिन वहां पर 23 जून की रात को एक ब्लास्ट हुआ था, इसमें करीब 10 लोग घायल हो गए थे और इस ब्लास्ट में मौलाना मसूद अजहर की भी मौत हो गई।

मरीनो ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वहां की एक स्थानीय समाचार वेबसाइट द बलूचवरना ने ट्विटर और आर्टिकल के माध्यम से बताया कि आतंकी मसूद अजहर की मौत हो गई। मरोनो अपनी खबर के लिए एक और पुख्ता प्रमाण देते हैं कि मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट के संस्थापक अध्यक्ष अल्ताफ हुसैन ने मसूद की मौत पर 6 जुलाई को एक ट्वीट में लिखा था कि आर्मी अस्पताल में धमाके में मसूद अजहर की मौत हो गयी है।

मरीनो ने ही पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना द्वारा किए गए हमले में जैश के  130-170 आतंकियों के मारे जाने का दावा किया था। उधर मरीनो का कहना है कि मसूद को पाकिस्तान की सेना ने ही मरवाया है। क्योंकि मसूद के वैश्विक आतंकी घोषित होने के बाद पाकिस्तान की किरकिरी रही थी और पाकिस्तान में उसके प्रभाव को देखते हुए उसे सीधे तौर मारना आसान नहीं था। गौरतलब है कि 1 मई को संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल किया था।