कर्नाटक में आए सिसासी संकट को लेकर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। क्योंकि यहां पर भाजपा के ऑपरेशन लोटस के कारण कुमारस्वामी सरकार का जाना तय है। लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के रूख को लेकर सकते में है। क्योंकि कर्नाटक के बीएसपी विधायक का दावा है कि मायावती के कहने पर ही वह विधानसभा से गायब रहे। लिहाजा कांग्रेस को अब मध्य प्रदेश में माया के रूख से खतरा दिख रहा है।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। वह निर्दलीय,बीएसपी और एसपी के समर्थन से सरकार चला रही है। लिहाजा कांग्रेस को मध्य प्रदेश में भी अपनी सरकार पर खतरा दिख रहा है। खासतौर से बीएसपी प्रमुख मायावती के रूख से।

क्योंकि कर्नाटक में बीएसपी ने अपने विधायक को वोंटिग के दौरान सदन में गैरमौजूद रहने का आदेश दिया है। जबकि 14 महीने पहले जब राज्य में कुमारस्वामी सरकार बनी थी तो उसमें बीएसपी भी शामिल थी और उसके एकमात्र विधायक को मंत्री भी बनाया गया था बाद में विधायक ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

अब विधायक का सदन से गायब रहना कांग्रेस को मुश्किल में डाल रहा है। क्योंकि कुमारस्वामी सरकार एक-एक विधायक को जोड़कर सरकार बचाने की कोशिश कर है। वहीं बीएसपी विधायक एन महेश ने विश्वास मत के दौरान सदन में उपस्थित न होने का निर्णय लिया है।

महेश का कहना है कि वह मायावती जी के निर्देशानुसार सोमवार को कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत में भाग नहीं लेंगे। कांग्रेस और जेडीएस सरकार के लिए एक भी विधायक का समर्थन न मिलना मुश्किल भरा है। इससे ये साफ हो गया है कि एक तरह से बीएसपी ने कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पूरी तरह निर्दलीय और एसपी और बीएसपी के विधायकों के समर्थन पर निर्भर है। हालांकि राज्य में बीएसपी कमलनाथ सरकार से नाराज चल रही है। लेकिन उसने अभी तक समर्थन वापस नहीं लिया है।

हालांकि दो बीएसपी के विधायकों ने सरकार पर मंत्री पद देने का दबाव बनाया था। लेकिन कमलनाथ ने किसी को मंत्री नहीं बनाया। लिहाजा बीएसपी का कर्नाटक में चल रहे सिसायी घमासान में अपनी हैसियत कांग्रेस को दिखा रही है।