नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का राजनीतिक अनुभव शून्य है। भले ही वह सीधा कांग्रेस महासचिव बना दी गई हैं। लेकिन गांधी खानदान के ठप्पे के अलावा उनके पास राजनीति में कोई और उपलब्धि नहीं है। प्रियंका वाड्रा ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है। यहां तक कि उनके पास सांसद या विधायक तो छोड़िए नगरपालिका स्तर के भी सार्वजनिक जीवन का अनुभव नहीं है। 

लेकिन हमला वह सीधा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कर रही हैं और वह भी लगातार। 

1.    गुरुवार 9 मई को प्रतापगढ़ में पीएम के खिलाफ बयानबाजी
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में एक रैली के दौरान प्रियंका वाड्रा ने पीएम मोदी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि "मैंने इनसे बड़ा कायर और कमजोर प्रधानमंत्री नहीं देखा।"
प्रियंका ने अपने भाषण में कहा कि "राजनीतिक ताकत बड़े टीवी प्रचार के माध्यम से नहीं आती, यह तब मिलती है जब व्यक्ति इस बात को मानता है कि किसी भी कुर्सी से बड़ी जनता है। व्यक्ति में जनता की परेशानियों को सुनने का, उन्हें दूर करने का और अपनी आलोचनाएं सहने का साहस होना चाहिए। यह प्रधानमंत्री न ही आप लोगों को सुनते हैं और न ही आपके सवालों के जवाब देते हैं।"

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प्रतापगढ़ में रैली करते हुए प्रियंका ने जनता की परेशानियों को सुनने और उन्हें दूर करने की दुहाई दी। लेकिन प्रश्न यह है कि क्या प्रियंका ने कभी जन प्रतिनिधि के तौर पर काम किया है। वह तो हमेशा राजनीति से दूर सुविधाजनक जीवन बिताने की आदी रही हैं। 

वहीं पीएम मोदी कई दशकों से राजनीति में हैं। उन्होंने लगभग 12 साल मुख्यमंत्री और पांच साल प्रधानमंत्री के तौर पर बिताए हैं, जो कि बिना जनता की मर्जी के संभव नहीं है। यदि जनता की शिकायत होती कि पीएम उनकी नहीं सुनते तो वह इतना लंबा समय सार्वजनिक जीवन में नहीं बिता पाते। 

ऐसे अनुभवी राजनेता को मात्र तीन महीने के राजनीतिक जीवन वाली प्रियंका वाड्रा गांधी जनता की परेशानियां सुनने और दूर करने की नसीहत दे रही हैं। 

यह मजाक नहीं तो और क्या है?


2.    दिल्ली में बुधवार यानी 8 मई को रोड शो में पीएम को बताया ‘स्कूली बच्चा’

प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिल्ली में कांग्रेस की वयोवृद्ध पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समर्थन में एक रोड शो किया। यहां उन्होंने फिर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सीधा हमला किया। 
प्रियंका ने बयान दिया कि "पीएम मोदी की हालत स्कूल के उस बच्चे की तरह है जो कभी अपना होमवर्क नहीं करता। जब शिक्षक उससे पूछते हैं तो वह कहते हैं नेहरू जी ने मेरा पेपर लेकर उसे छिपा लिया और इंदिरा जी ने कागज की नाव बना कर उसे पानी में बहा दिया।"

यही नहीं प्रियंका ने दिल्ली में पीएम मोदी को बाहरी बताते हुए राष्ट्रीय राजधानी से अपने बचपन का नाता बताया और लोगों से भावनात्मक अपील की। 

दरअसल दिल्ली में पीएम मोदी के खिलाफ बयान देते हुए अपनी दादी और परदादा का नाम लेते हुए प्रियंका ने एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश की। उन्होंने पीएम को कठघरे में खड़ा करते हुए नेहरु और इंदिरा को क्लीन चिट देने का असफल प्रयास किया। 

लेकिन वर्तमान समय में पीएम मोदी द्वारा चलाए जा रहे विकास के अनवरत प्रवाह को देखकर जनता बड़ी आसानी से इंदिरा और नेहरु काल की निजी फायदे की राजनीति को समझ चुकी है। इसके लिए किसी तरह की बयानबाजी की जरुरत नहीं है। लेकिन खास बात यह है कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिल्ली में भी पीएम मोदी के खिलाफ हमले का मौका नहीं छोड़ा। 

3.    अंबाला की रैली में 7 मई को पीएम को बताया था दुर्योधन 

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी  ने हरियाणा के अंबाला में चुनावी रैली की। उन्होंने केन्द्र सरकार को निशाने पर लिया और इशारे से पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें अहंकारी साबित करने की कोशिश की।  इसके लिए प्रियंका ने सहारा लिया राष्ट्रकवि दिनकर की अमर पंक्तियों का। 
जब नाश मनुज पर छाता है,पहले विवेक मर जाता है....... 

यह पंक्तियां उच्चरित करके प्रियंका वाड्रा ने पीएम मोदी को अहंकारी बताने की कोशिश की। लेकिन वंशवादी राजनीति का चैंपियन गांधी परिवार यह भूल जाता है कि लोकतंत्र में आखिरी फैसला जनता सुनाती है। 

लेकिन प्रियंका वाड्रा और उनका वंशवादी गांधी खानदान तो सत्ता पर जैसे अपना एकाधिकार समझता है। 

4.     ट्विटर पर 5 मई को भी किया था पीएम मोदी पर हमला 

प्रियंका गांधी वाड्रा ने पीएम मोदी पर हमले के लिए कोई भी प्लेटफॉर्म नहीं छोड़ा। चाहे वह चुनावी रैली हो या फिर रोड शो या ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म।  

5 मई 2019 को प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि 'शहीदों के नाम पर वोट मांगकर उनकी शहादत को अपमानित करने वाले प्रधानमंत्री ने कल अपनी बेलगाम सनक में एक नेक और पाक इंसान की शहादत का निरादर किया. जवाब अमेठी की जनता देगी जिनके लिए राजीव गांधी ने अपनी जान दी। हां मोदीजी ‘यह देश धोखेबाज़ी को कभी माफ नहीं करता।'

प्रियंका गांधी वाड्रा के रवैये को देखकर लग रहा है कि आखिरी चरण यानी 19 मई तक वह पीएम मोदी के खिलाफ और बड़े हमले करेंगी। 

शायद प्रियंका गांधी के रणनीतिकारों ने उन्हें यह ज्ञान दिया होगा कि उन्हें मीडिया में छाए रहना है तो सिर्फ और सिर्फ पीएम मोदी पर ही निशाना चाहिए। जिससे उन्हें लगातार पब्लिसिटी मिलती रहे। भले ही वह नकारात्मक हो।