नई दिल्ली। राजस्थान में चले सियासी हलचल के बीच कांग्रेस के बागी सचिन पायलट की खामोश हैं और माना जा रहा कि इस खामोशी के पीछे राज छिपे हैं। वहीं कांग्रेस डरी है कि कहीं इस खामोशी के बाद कोई बड़ा तूफान न आ जाए। लिहाजा सरकार बचाने को जुटी टीम प्रियंका इससे डरी हुई है और पायलट को मनाने की सभी तरह की कोशिश कर रही है। कहा जा रहा कि जिन विधायकों का दावा गहलोत कर रहे हैं उसमें से कई विधायक पायलट समर्थक हैं और ऐन मौके पर पार्टी के खिलाफ खड़ा हो सकते हैं। लेकिन इन विधायकों की पहचान करना मुश्किल है। लिहाजा कांग्रेस नेता सरकार गिरने के डर के कारण खौफ में हैं।

फिलहाल कहा जा रहा है कि कांग्रेस और सचिन पायलट के बीच कोई समझौता हो सकता है और पार्टी पायलट की शर्तों को मान सकती है। बशर्ते उन्हें ये साबित करना होगा कि वह भाजपा के संपर्क में नहीं हैं। वहीं अशोक गहलोत किसी भी हाल में पायलट को दोबारा साथ नहीं रखना चाहते हैं। क्योंकि पिछले दो साल से गहलोत पायलट को सत्ता से बाहर रखने के लिए एक किए हुए हैं। लेकिन उसके बावजूद पायलट राज्य की सियासत में मौजूद हैं। लेकिन अब गहलोत सचिन के बागी होने के बाद ये मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं।

फिलहाल राजस्थान में टीम प्रियंका सरकार को बचाने के लिए सभी तरह की कोशिशों में जुटी हुई है। कल तक कांग्रेस के पांच नेता पायलट को मनाने की कोशिश कर कर चुके हैं। लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पायलट ने कांग्रेस आलाकमान के साथ कई शर्तें रखी हैं। जिन्हें शायद अशोक गहलोत के रहते मानना मुश्किल है। वहीं सचिन पायलट पूरे प्रकरण पर अभी खामोश हैं।

असल में गहलोत का दावा है उनके साथ 109 विधायक हैं जबकि सचिन पायलट गुट का दावा है कि जिन विधायकों को गहलोत अपना बता रहे हैं वह पालयट के पक्ष में हैं और अगर विधानसभा में सरकार को बहुमत साबित करना पड़ा तो ये विधायक पायलट की तरफ आएंगे औऱ गहलोत सरकार को गिरा देंगे। वहीं कांग्रेस के बागी विधायक हेमाराम चौधरी ने मीडिया से कहा कि उनका भाजपा के साथ कोई रिश्ता नहीं है और इस प्रकरण से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। चौधरी का कहना है सचिन पायलट गुट अपनी मांगों पर अडिग हैं और राज्य में नेतृत्‍व परिवर्तन चाहता है और ये 'कांग्रेस के हित' में है।