नई दिल्ली। नेपाल में चल रहा सियासी गतिरोध एक हफ्ते के लिए टल गया है। लेकिन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर इस्तीफे का दबाव लगातार बढ़ता है। हालांकि बीजिंग ओली सरकार को बचाने की पूरी कोशिश कर रही है। लेकिन नेपाल के पूर्वी पीएम और पार्टी के दूसरे अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ने साफ कर दिया है कि ओली को इस्तीफा देना होगा। हालांकि नेपाल में इस दावे को भी खारिज नहीं किया जा रहा है कि ओली अपनी नई पार्टी का गठन कर सकते हैं।

फिलहाल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्टैंडिंग कमिटी की बैठक अगले एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया है। बैठक को देश के अधिकतर हिस्सों में भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए टाला गया है। लेकिन माना जा रहा है कि ओली ने कुर्सी बचाने के लिए बैठक को टाला है। ताकि इस बीच पार्टी के अन्य नाराज नेताओं को मनाया जा सके। हालांकि पार्टी की उच्चस्तरीय समिति में 18 में से 17 सदस्य ओली के खिलाफ हैं। वहीं एनसीपी चेयरमैन पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड बैठक टालने के खिलाफ थे, लेकिन पार्टी के टॉप नेताओं माधव नेपाल और झालानाथ खनल से मुलाकात के बाद वह बैठक को अगले एक हफ्ते के लिए टालने के लिए सहमत हो गए।

वहीं नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने भारत विरोधी भावनाओं को एक बार फिर भड़काते हुए भारतीय समाचार चैनलों पर नेपाल में प्रतिबंध लगा दिया है। ओली का कहना है कि भारतीय न्यूज चैनल्स उनके खिलाफ देश में माहौल बना रहे  हैं। वहीं नेपाल की जनता सरकार के इस फैसले के खिलाफ है और कह रही है कि प्राइवेट चैनलों में सरकार का कोई दखल नहीं है। लिहाजा नेपाल की सरकार भारत और मीडिया से रिश्तों को खराब करने के लिए इस तरह के फैसलों को ले रही है।

यांकी करा रही है पंचायत

चीन की राजदूत हाउ यांकी का नेपाल की घरेलू राजनीति में खुलेआम दखल बढ़ता जा रहा है। यांकी ओली के इशारे पर कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को एकजुट करने में जुटी है। यांकी राष्ट्रपति से लेकर एनसीपी के सभी नेताओं से मिल चुकी हैं। वहीं यांकी ने गुरुवार को दहल से मुलाकात की। हालांकि पहले दहल यांकी से मिलने के पक्ष में नहीं थे। लेकिन बाद में उन्होंने अपने करीबियों की सलाह पर यांकी से मिलने के लिए अनुमति दी।