नई दिल्ली। देश की सबसे उम्रदराज पार्टी कांग्रेस में अब ओल्ड बनाम यंग की शुरू हो गई है और ये दूसरा मौका है जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। कांग्रेस में युवा बनाम बुजुर्ग की खेमेबंदी बढ़ती ही जा रही है और कांग्रेस में सियासत से दूर राहुल गांधी के निशान पर पर अब पार्टी के वरिष्ठ हैं, जो सोनिया गांधी के कारण अहम पदों पर बैठे हुए हैं।

कांग्रेस में हालांकि ये लड़ाई आज की नहीं है बल्कि ये लड़ाई काफी पहले शुरू हो गई है। लेकिन कांग्रेस में पिछले साल सोनिया गांधी के फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ये लड़ाई और तेज हो गई है और अब पार्टी में बुजुर्ग बनाम युवा की बढ़ती जा रही है। गुरुवार को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश के हालत के मद्देनजर राज्यसभा के सांसदों की बैठक बुलाई थी और बैठक में एक बार फिर नेताओं के बीच जमकर तकरार हुई है और वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की आत्मनिरीक्षण की सलाह पर राहुल गांधी के टीम के नेता ने उनका विरोध किया।

सांसदों की बैठक में कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी को ऊपर से नीचे तक आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। लेकिन राहुल गांधी के करीबी और गुजरात से राज्यसभा सांसद राजीव सातव ने सिब्बल के खिलाफ जमकर आग उगली। सातव ने कहा कि कोई भी आत्मनिरीक्षण सत्ता में रहते हुए करना चाहिए और 2009 से 2014 तक का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। उन्होंने सीधे तौर पर पार्टी से कहा कि पार्टी को सिब्ब्ल के अभी तक के प्रदर्शन का भी रिव्यू करना चाहिए। सातव ने कहा कि अगर यूपीए-2 में आत्मनिरीक्षण हो जाता को 2019 में पार्टी 44 सीटें नहीं मिलती। बैठक में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, ए के एंटनी, गुलाम नबी आजाद, पी चिदंबरम, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल समेत वरिष्ठ नेता थे। लेकिन युवा नेताओं ने अपनी बात को खुलकर रखा।

फिर उठी राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग

हालांकि इससे पहले भी राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपे जाने की मांग की गई। बैठक में राज्यसभा सांसद पीएल पूनिया, रिपुन बोरा और छाय वर्मा ने एक बार फिर पार्टी की कमान राहुल गांधी को सौंपे जाने की मांग की। हालांकि कांग्रेस के नेताओं ने बैठक में दावा किया कि देश में कोरोना महामारी, चीन की आक्रामकता और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार पर बुरी तरह विफल हुई है। लेकिन उसके बावजूद जनता की सहानुभूमि कांग्रेस के प्रति नहीं है।